पुलिस और प्रशासन के अविवेकपूर्ण निर्णय

🔲 आमजन परेशान

🔲 छूट में तालमेल का अभाव

🔲 व्यावहारिक परेशानियां बहुत

🔲 जिम्मेदार अधिकारी नहीं उठाते आम जनता के फोन, आखिर फरियाद सुनेगा कौन?

हरमुद्दा
रतलाम, 26 मार्च। पुलिस एवं प्रशासन के अविवेकपूर्ण निर्णय व्यावहारिक धरातल पर खरे साबित नहीं हो रहे हैं। छूट में तालमेल नहीं होने के चलते आमजन काफी परेशान हैं। जिम्मेदार अधिकारी आम जनता के फोन नहीं उठा रहे हैं। आखिर आम जन की फरियाद कौन सुनेगा? पुलिसकर्मियों की हठधर्मिता के चलते मरीज और उनके परिजन काफी दिक्कत में है।

IMG_20200316_224957

लॉक डाउन के चलते 27 मार्च को पुलिस प्रशासन ने नया फरमान जारी कर दिया कि कोई भी व्यक्ति दो और चार पहिया वाहन लेकर सड़क पर खरीदारी करने नहीं आएगा।

5 से 10 किलो सामान उठाकर जाएंगे कैसे

तो आखिर खरीदारी करने वाले लोग पांच से दस किलो वजन अपने हाथ में उठाकर कैसे घर जाएंगे? इसमें कई सारे ऐसे भी लोग हैं जो उम्र दराज हैं। घर में युवा कोई नहीं है तो वह क्या करेंगे? ऐसे में जो बंदा 15 मिनट में वाहन से अपने घर चला जाता था, वह करीब 1 से 2 घंटे तक इधर-उधर भटकता रहेगा। आज भी धान मंडी में किराना दुकानों पर। सुरक्षा चक्र लगाने के बावजूद भीड़ रही लेकिन उसे नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था। दुकानदार नोट गिनने में ही व्यस्त रहा।

बैंक का और छूट का समय

जिला प्रशासन ने बैंक का समय सुबह 10:00 से 2:00 तक का तय किया गया है, लेकिन आम जनता सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक ही सड़क पर आ सकती है। लोगों के कई प्रकार के लोन की किस्त जमा करवानी है। खाते में पैसे नहीं हैं। ऐसे में कई लोगों चेक लगे हुए हैं। बैंक दूर है वे लोग पैदल कैसे जाएंगे? और कैसे समय सीमा में घर आएंगे? बैंकों से ऐसे भी कोई निर्देश। प्राप्त नहीं हुए हैं कि जिनके चेक लगे हुए वे बाउंस नहीं होंगे। किश्ते एक महीने बाद भर आएगी तो कोई दिक्कत नहीं है। उन्हें कैसे छूट मिलेगी। इसी चिंता में सभी परेशान हैं। बीपी बढ़ रहा है। यह सभी मुद्दे विचारणीय हैं।

नहीं जाने दे रहे फैमिली डॉक्टर के पास

यह तो सर्वविदित है कि मरीजों के अपने फैमिली डॉक्टर होते हैं, उन्हीं का उपचार उन्हें लगता है, लेकिन पुलिस कर्मचारी हैं कि उन्हें वहां तक जाने नहीं देते हैं। मान लिया कोई व्यक्ति विनोबा नगर में रहता है और उसका उपचार पैलेस रोड पर किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के माध्यम से होता है। तो उसे पुलिसकर्मी आने नहीं देते हैं। कहते हैं इधर क्षेत्र में डॉक्टर नहीं है क्या? लाख कोशिश के बावजूद अस्वस्थ व्यक्ति परेशान होता है।

चिकित्सक की डिस्पेंसरी पर भीड़

IMG_20200326_212119

इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए। चिकित्सक की डिस्पेंसरी पर काफी भीड़ लग रही है। आमजन को अपने चिकित्सक से उपचार कराने की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है तो फिर सुबह से रात तक मेडिकल स्टोर खोलने का क्या औचित्य है? डिस्पेंसरी पर भीड़ के चलते संक्रमण फैलने का अंदेशा बढ़ जाता है, लेकिन इस पर भी कोई ठोस निर्णय जिला प्रशासन ने नहीं लिया है।

जिम्मेदार नहीं उठाते फोन

कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉक डाउन के दौरान परेशान आमजन जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को फोन लगाते हैं तो भी उठाते नहीं हैं। उसके बाद रिकाल भी नहीं करते कि क्या दिक्कत थी क्या परेशानी थी? उनको कोई लेना देना नहीं है। चाहे वह कलेक्टर हो, एसडीएम हो चाहे और पुलिस वाले हो, डॉक्टर हो सभी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। इसके चलते आमजन काफी बेहद परेशान हैं।

पुलिस एवं जिला प्रशासन से करेंगे बात

IMG_20200326_221126

लोगों की परेशानियों के मद्देनजर जिला एवं पुलिस प्रशासन से बात की जाएगी वह तालमेल बना कर विवेकपूर्ण निर्णय लें ताकि आमजन को परेशानी ना हो। आमजन से आह्वान है कि वे भी सरकार की छूट का गलत फायदा ना उठाएं और अपने घर में रहे। लॉक डाउन का पालन करें।

🔲 चैतन्य काश्यप, शहर विधायक, रतलाम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *