सब कुछ लॉक डाउन नहीं है

सूरज की रोशनी
मौसम की तपिश
लॉक डाउन नहीं है

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रिश्तों की मिठास
बंद कमरों से, महक रही है
और तो और
प्यार भी लॉक डाउन नहीं है

पढ़ना-लिखना, सीखना
गीत-संगीत, सुर और साज
प्रार्थना, साधना
लॉक डाउन नहीं है

कल्पनाएं बुनते
त्याग, दया, माया, ममता, करुणा
लॉक तोड़कर पथगामी है
संवाद, विवाद लॉक डाउन नहीं है

आशा है, नवजीवन की
इस भय के, हट जाने की
बस कुछ दिन और
महकेंगे चहकेंगे
पहले से भी बेहतर

🔲 डॉ. चंचला दवे, सागर

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