किंतु सत्य : ब्रह्मचारी हनुमान जी बंधे थे परिणय सूत्र में

🔲 चार विद्याओं के लिए किया विवाह

🔲 गुरु की पुत्री के संग बंधे दाम्पत्य सूत्र में

🔲 धर्मपत्नी के साथ विराजित हनुमान जी का देश में एक ही मंदिर

🔲 हनुमान जी के विवाह का उल्लेख मिलता है पाराशर संहिता में

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यह सत्य है कि बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी भी परिणय सूत्र में बंधे थे। ऐसा उन्होंने इसलिए किया था कि उन्हें 4 विद्याओं का ज्ञान और प्राप्त हो सके। यह ज्ञान केवल विवाहित को ही दिया जाता था। नतीजतन गुरुदेव की पुत्री से विवाह किया। शास्त्रोक्त मान्यता यह है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में हनुमान को विवाह के गठबंधन में बंधना पड़ा था। पत्नी के साथ विराजित हनुमान जी का देश में एकमात्र मंदिर आंध्र प्रदेश में है।

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श्रीराम भक्त हनुमान ने अपना सारा जीवन स्वामी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की भक्ति में गुजार दिया। बजरंगबली ने ह्रदय से उनको अपना सर्वस्व माना और तन-मन से उनकी सेवा की। इसलिए कहा जाता है कि उनके लिए भाई, सखा सभी कुछ श्रीराम थे। ऐसी मान्यता है कि 9 विद्याओं में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा। हनुमान जी के विवाह का उल्लेख पाराशर संहिता में मिलता है।

सूर्यदेव थे हनुमानजी के गुरु

ब्रह्मांड में ब्रहमचारी के रूप में पूजे जाने जाने वाले हनुमानजी भी परिणय सूत्र में बंधे थे और उन्होंने भी गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। हनुमान जी के विवाह का उल्लेख पाराशर संहिता में मिलता है। लेकिन वाल्मीकि रामायण, कम्ब रामायण, रामचरित मानस जैसे सभी ग्रंथों में हनुमानजी के बाल ब्रह्मचारी स्वरूप का ही वर्णन किया गया है। शास्त्रोक्त मान्यता यह है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में हनुमान को विवाह के गठबंधन में बंधना पड़ा था।

उड़ते हुए शिक्षा ग्रहण की थी हनुमान जी ने

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महाबली हनुमान सूर्यदेव को अपना गुरु मानते थे और उनसे वह शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। चूंकी सूर्यनारायण बिना अपने रथ को विराम दिए 24 घंटे भ्रमण करते रहते हैं। इसलिए हनुमानजी भी उनके सात घोड़ों वाले रथ के साथ उड़ते रहते थे। और उड़ते हुए ही सूर्यदेव उनको शिक्षा देते थे।

तब आई थी अड़चन

गुरु-शिष्य के शिक्षादान में एक अड़चन आ गई और हनुमानजी के सामने धर्मसंकट खड़ा हो गया। सूर्यनारायण हनुमानजी को नौ तरह की शिक्षा देने वाले थे। पांच तरह की विद्या तो सूर्यदेव ने उनको दे दी, लेकिन बची हुई चार विद्याएं ऐसी थी, जो सिर्फ विवाहितों को सिखाई जा सकती थी।

संकल्पित हनुमान जी पीछे हटने वाले नहीं थे विद्याध्ययन में

हनुमानजी सभी नौ विद्याओं को सीखने का संकल्प ले चुके थे। इसलिए वो अब विद्याध्ययन से पीछे नहीं हटने वाले थे। वहीं भगवान सूर्यदेव के सामने भी यह धर्मसंकट खड़ा हो गया कि शिष्य हनुमान को शिक्षा कैसे दें। नियम के तहत हनुमानजी विद्याध्ययन की कसौटी पर खरे नहीं उतरते थे, वहीं बजरंगबली सभी विद्याओं को सीखने की जिद पर अड़े हुए थे। ऐसे में सूर्यनारायण ने हनुमानजी को विवाह करने की सलाह दी। सभी नौ विद्याओं में पारंगत होने के जुनून में हनुमानजी विवाह करने के लिए तैयार हो गए। लेकिन अब दूसरी समस्या सामने यह आई की उनके लिए दुल्हन कहां ढूंढे और कौन उनकी दुल्हन बनेगी।

गुरु की पुत्री के साथ बंधे दांपत्य सूत्र में हनुमान जी

ऐसे में गुरु सूर्यदेव ने अपने शिष्य हनुमान जी को रास्ता दिखलाया। सूर्यनारायण ने अपनी परम तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को हनुमान जी के साथ परिणय सूत्र में बंधने के लिए तैयार कर लिया। विवाहित होने के साथ ही हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और सुवर्चला हमेशा के लिए अपनी तपस्या में रत हो गई। इस तरह से हनुमानजी विवाह के गठबंधन में बंधने के बाद भी शारीरिक रूप से हमेशा ब्रह्मचारी रहे। इसलिए उनको बाल ब्रह्मचारी भी कहा जाता है।

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🔲 खम्मम में है हनुमानजी का अपनी पत्नी के साथ मंदिर

आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में हनुमान जी का एक विशेष मंदिर है, जो इस बात की याद दिलाता है कि हनुमानजी ब्रह्मचारी ही नहीं बल्कि गृहस्थ भी थे। इस मंदिर में पवनपुत्र हनुमान अपन पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है। पाराशर संहिता में कहा गया है कि हनुमानजी का सूर्यदेव ने सुवर्चला के साथ विवाह ब्रह्मांड के कल्याण के लिए करवाया था। इससे हनुमानजी परिणय सूत्र में भी बंध गए और उनका ब्रह्मचर्य भी अक्षुण्ण बना रहा। इस मंदिर में दूर-दराज से लोग हनुमानजी के गृहस्थ रूप के दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि हनुमानजी के गृहस्थ रूप के दर्शन करने से घर-परिवार के तनाव से मुक्ति मिलती है और पति-पत्नी के बीच बेहतर तालमेल रहता है।

 🔲 हनुमानजी के तीन विवाहों का भी उल्लेख 🔲

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रावण पुत्री अनंगकुसुमा से दूसरा विवाह

धर्मशास्त्रों में हनुमानजी की तीन पत्नियों का उल्लेख मिलता है अर्थात वो तीन बार विवाह के बंधन में बंधे थे। हनुमानजी का पहला विवाह सुर्यदेव की पुत्री सुर्वचला के साथ हुआ था। ‘पउम चरित’ में हनुमान के दूसरे विवाह का उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार जब रावण और वरूण देव के बीच युद्ध हुआ तो, वरूण देव की ओर से हनुमान ने रावण से युद्ध किया और रावण के सभी पुत्रों को बंदी बना लिया। युद्ध में पराजित होने के बाद रावण ने अपनी पुत्री अनंगकुसुमा का विवाह हनुमान से कर दिया। अनंगकुसुमा का उल्लेख पउम चरित में इस तरह भी मिलता है कि खर- दूषण के वध का समाचार जब हनुमान की सभा में पहुंचा तो अंत:पुर में शोक छा गया और अनंगकुसुमा बेहोश हो गई।

सत्यवती से हुआ तीसरा विवाह

हनुमानजी का तीसरा विवाह देवी सत्यवती से हुआ था। रावण और वरुणदेव के युद्ध में जब हनुमानजी वरुणदेव की ओर से लड़े और उन्होंने लंकापति रावण को करारी शिकस्त दी तो वरुणदेव ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह हनुमानजी से कर दिया था। इस तरह शास्त्रों में बाल ब्रह्मचारी हनुमानजी के तीन विवाह का उल्लेख मिलता है।

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