रतलाम वाले सभी वर्ग के लोग हद दर्जे की मूर्खता का परिचय देते हुए खाने के लिए मरे जा रहे : फेसबुक पर एसडीएम की विवादित पोस्ट
🔲 जिम्मेदार अधिकारी पर उच्चाधिकारी क्या करेंगे कार्रवाई
🔲 अधिकारी की ऐसी भाषा शैली से आहत है शहरवासी
हेमंत भट्ट
रतलाम, 16 अप्रैल। रतलाम शहर एसडीएम लक्ष्मी गामड़ ने फेसबुक पर बुधवार को भड़काऊ एवं विवादित पोस्ट डाली। जिस की भाषा शैली बिल्कुल भी अधिकारी के स्तर की नहीं है। रतलाम वालों को मूर्ख कहा। वह भी हद दर्जे का। यह किसी एक वर्ग को नहीं है बल्कि सभी समाज के रहवासियों को मूर्खता की उपाधि दे डाली। यहां तक कि उल्लू भी कहा। खाने के लिए मरे जा रहे हैं ऐसे शब्द का उपयोग किया है। किराना वाले अलग मरे जा रहे हैं कि हमें होम डिलीवरी का पास क्यों नहीं दिया।
जिला प्रशासन की कह रहा है कि सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट ना डालें जिससे कि लोग आक्रोशित हो जाएं आंदोलित हो जाएं। लेकिन एसडीएम लक्ष्मी गामड़ के जो शब्द हैं, जो विचार है, वह स्तर हीन है। इस गंभीर मुद्दे पर शहर के कई लोगों ने नाराजगी जताई।
ऐसी स्थिति में सभी लोग मर्यादित है। ऐसे अधिकारी पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। वर्ग विशेष का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
लोक-स्वाभिमान को पद तले रौंदा
यह तो बहुत ही दु:खद है। लोक-स्वाभिमान को पद तले रौंद कर प्रशासन चलाने वालों का इतिहास कभी उज्ज्वल नहीं रहा है। यह प्रशासनिक अधिकारी की भाषा तो हो ही नहीं सकती है। रतलाम की जनता बहुत शालीन है और बड़ी सीमा तक सहनशील भी। इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में धैर्यपूर्वक शान्ति से घरों में हैं। इस समय जनता और प्रशासन के बीच सौहार्द और सामंजस्य की ही आवश्यकता है। यदि जनता की ओर से अपने स्वभाव के विपरीत आचरण कर प्रतिक्रिया की गई, तो प्रशासन के लिए नई मुसीबत खड़ी होगी। रतलामी धैर्य पूर्वक कोरोना का सामना कर रहे है। घरों में सुरक्षित हैं।
🔲 डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, संस्कृति वेत्ता, ख्यात चिंतक व साहित्यकार,
शहरवासियों का अपमान
प्रशासनिक अधिकारी स्तर के लोगों के लिए ऐसी भाषा शैली का उपयोग उचित नहीं कहा जा सकता है। कुछ लोग जरूर लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। मगर चंद लोगों के लिए पूरे शहर वासियों के बारे में ऐसा लिखना अशोभनीय है। यह सभी शहरवासियों का अपमान है। शहरवासियों के बारे में ऐसी भावना रखने वाले अधिकारी ने रतलाम के इतिहास को जाना ही कहां है। महात्मा गांधी तक शहरवासियों के सेवा, संस्कार, सद्भावना की तारीफ कर चुके हैं। शहरवासियों की मिसाल तो वे पूरे देश में देते थे। यह कृत्य क्षम्य नहीं है।
🔲 श्रेणिक बाफना, वरिष्ठ पत्रकार रतलाम
पद के मद में मर्यादाहीन भाव
चंद लोगों को छोड़ दिया जाए तो पूरे शहरवासी लॉक डाउन का पूरा-पूरा पालन कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी द्वारा ऐसी भावना व्यक्त करना सभी वर्गों के शहरवासियों के लिए कदापि उचित नहीं है। ऐसे विचार हतोत्साहित कर उद्वेलित करते है। शहर के नागरिक अपनी मर्यादा जानते हैं। उसका निर्वाह भी करते है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी अपनी पद के मद में मर्यादा को भूल रहे हैं। जबकि अधिकारियों को तो हर परिस्थिति में सम होना चाहिए। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए।
🔲 पुष्पेंद्र जोशी, संयोजक, सर्व ब्राह्मण समाज, रतलाम
माफी योग्य नहीं समाज के सभी वर्गों के लिए ऐसी भावना
शहर के सभी वर्गों के प्रति जो भावना व्यक्ति की है। वह सरासर निंदनीय है। माफी योग्य नहीं है। मुद्दा काफी गंभीर है। परेशानी के इस दौर में समाजजनों के प्रति ऐसे विचार व्यक्त करना किसी भी स्तर से उचित नहीं कहे जा सकते हैं। पहले ही शहरवासी लॉक डाउन से परेशान हैं और ऐसे में उनकी भावनाओं को आहत करना जले पर नमक छिड़कने के समान है। वरिष्ठ अधिकारियों को जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए।
🔲 राजेंद्रसिंह गोयल, अध्यक्ष, राजपूत समाज, रतलाम