समाज बदले सोच, संकल्पित सेवा की सार्थक भूमिका में सरकारी शिक्षक

समाज बदले सोच, संकल्पित सेवा की सार्थक भूमिका में सरकारी शिक्षक

🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲

 

जिन शिक्षकों को समाज नाकारा, काम ना करने वाले, फ्री की वेतन लेने वाले ओर ना जाने क्या क्या कह के सम्बोधित करते थे, आज उन शिक्षकों को देख लो अपनी जान की बाजी लगा कर कोरोना पर्यवेक्षक, विशेष पुलिस अधिकारी, वाहन चेकिंग, स्वास्थ्य सर्वेक्षण, गेहूं वितरण, सोसाइटी की निगरानी में मुस्तैद है। संकल्पित समाज सेवा में सरकारी शिक्षक अपनी सार्थक भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

 

IMG_20200409_191608

सब से बड़ी बात बच्चों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं। कक्षावार व्हाट्सप्प ग्रुप बनाएं हैं। बच्चों और अभिभावकों से लगातार संपर्क बनाए हुए है। अधिकांश के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। क्या स्कूल वालों ने कभी आपके बच्चे की सलामती के लिए फोन पर भी संपर्क किया, बच्चा और उसका परिवार भूखा तो नहीं????

वे तो केवल है बिजनेसमैन

जहां तक मेरा मानना है, अगर संपर्क किया होंगा तो फीस के लिए किया होंगा क्योंकि प्रायवेट स्कूलों की अधिकतर फीस परीक्षा के समय आती है तो फीस के लिए ही संपर्क किया होगा, उनको ना आपकी चिंता है ना आपके बच्चे की और बिजनेस मैन लोग है।

देश हित में कार्य करता है शिक्षक

सरकारी कर्मचारी केवल वेतन के लिए ही कार्य नहीं करता बल्कि देश हित मे कार्य करता है। बहुत से शिक्षक अपनी इच्छा से गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे है। ये सरकारी शिक्षक तन मन धन से डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, और हमारे सफाईकर्मियों की तरह समाज सेवा, देश सेवा ओर मध्यप्रदेश के लोगों की सेवा में तल्लीन हैं।

सरकारी संस्थानों के प्रति अपनी सोच को बदलें

कोरोना वायरस के मुश्किल दौर में आज प्रायवेट स्कूल नदारद है। मुसीबत में सिर्फ सरकारी अमला ही सेवा मे हाजिर है। मेरा समाज से आह्वान है कि जब हमारा राज्य पूर्ण रूप से सुरक्षित हो जाए और जब सब सही हो जाए तो इन सरकारी संस्थानों के प्रति अपनी सोंच को बदलें। क्योंकि मुसीबत में जो साथ छोड़ दे, उनको क्या कहते है आप अच्छे से जानते है। इन सरकारी कर्मचारियों वीर योद्धाओं को नमन।

 

🔲 प्रस्तुति : सुरेश जोशी व कमलसिंह राठौर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *