रमजान : इबादत के साथ ही ईद को लेकर भी शुरू हो गई तैयारियां, 43 डिग्री की धूप में रोजेदार बना रहे सेवइयां
🔲 43 डिग्री तापमान में बना रहे हैं बुजुर्ग सेवइयां
हरमुद्दा
रतलाम, 14 मई। अल्लाह की इबादत और दुआओं के इस रमजान पाक महीने में इबादत के साथ ही ईद को लेकर भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। पांच पारे की नमाज कर रोजेदार समाज में अमनचैन की दुआएं मांग रहे हैं। दोपहर में तेज घूप के बावजूद रोजेदार बाजारों में नजर आने लगे हैं। काम काज में तल्लीन है। सेवइयां बनना भी शुरू हो गई है।
शहर में लॉक डाउन में छूट और कंटेनमेंट क्षेत्र खोलने के साथ ही कंटेनमेंट क्षेत्र को संशोधित करने के बाद अब रोजेदारों को राहत मिल गई है। ईद मनाने की तैयारी में लग गए हैं। काम धंधा शुरू कर दिया है। संपन्न परिवार दिलासा दे रहे हैं कि ईद पर किस प्रकार की तकलीफ मत देखना हम आपके साथ हैं।
हुनर से बनती है सेवइयां
रमजान के बाद आने वाली ईद को मीठी कहते हैं। घर-घर में सेवइयां से ही मिलने वालों की आवभगत होती है। हालांकि बाजारों में भी मशीन की समया मिलती है। लेकिन बुजुर्गजनों को अपने हाथों की बनी सेवइयां
खिलाने में जो खुशी मिलती है, वह बयां नहीं की जा सकती है। 60 वर्षीय शमीम बानो रोजा भी रख रही हैं और 43 डिग्री तापमान में कड़ी धूप में सेवइयां बनाने में तल्लीन है। शमीम बानो का कहना है कि हाथ की सेवइयां का आनंद की कुछ और है। हालांकि बाजार की सेवइयां पतली होती है फिर भी हाथ से बनी सेवइयां भी हमें पसंद है।हमारे यहां आने वालों को भी अच्छी लगती है। इसलिए मैं तो ईद पर अपने हाथ से बनी सेवइयां से ही अपनों वालों का स्वागत करती हूं। मुंह मीठा कराती हूं।
रजिया बानो ने बताया कि सेवइयां बनाना आसान नहीं है। यह हुनर हर किसी के पास नहीं होता। मैं भी कई सालों से देख रही हूं शमीम बानो को सेवइयां बनाते हुए मगर मैं अभी भी नहीं बना सकती हूं। रजिया बानो ने बताया कि सूजी और मैदा गलाया जाता है, फिर थोड़ा सा नमक डालकर आटा गूंथा जाता है। फिर सेवइयां के लिए लोई लेकर दोनों हाथों के तालमेल से तार-तार बनाते है फिर सुखाते हैं।
अल्लाह से सारे गुनाह माफ करने की मांगें दुआ : शहरकाजी
शहरकाजी अहमद अली सा. का कहना है कि सभी रोजेदार सब्र रखें और अल्लाह से सारे गुनाह माफ करने की दुआ मांगें। नेकियां लुटाने के इस पाक महीने में तरावीह की रकम गरीबों में बांटने का कार्य ईद के पहले करते रहें। ऐसे करके आप अल्लाह के करीब होते है। आप पर अल्लाह की रहतम बरसती है। रमजान के पाक दिनों में अल्लाह अपने बंदो के गुनाहों का माफ कर उपहार देता है। एहतेकाफ में बैठना है तो इस परंपरा का निर्वाह घर पर ही करें।