वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे सकारात्मकता की ओर ले जाने के साथ भारतीय उपचार पद्धति से रूबरू करवाती डॉ. दिव्या नाईक की अहम पुस्तक -

एक लेखक का जीवनानुभव, उसकी मेधा और आत्मबोध का ईश्वर प्रदत्त नैसर्गिक उपहार अंततः उसके कर्म में प्रकट होता है। और यदि यह अभिकर्म पुस्तक रूप में, और वह भी पहली, तो उसकी उत्तेजना और स्पंदन को पुस्तक लेखक से ज़्यादा कौन महसूस कर सकता है ? उसका आस्वाद पाठक भी ग्रहण कर सके और अपनी प्रतिपुष्टि लेखक को लौटा सके तो इससे बेहतर संवाद की अपेक्षा नहीं की जा सकती। इसी संवाद के लिए प्रस्तुत है डॉ. दिव्या नाईक की पुस्तक, ” Detoxifying Mind, Body and Soul: Dream it, Believe it, Have it ”

IMG_20200616_113640

पुस्तक के तीन अध्याय हैं : प्रथम अध्याय में वे उपाय प्रस्तावित हैं जिनसे हमारे मस्तिष्क की सम्पूर्ण प्रणाली तमाम किस्म की नकारात्मकताओं से निजात पाकर सकारात्मक मन:स्थिति की ओर प्रस्थान करे। दूसरा अध्याय देह के निर्मलीकरण से संबंधित है ताकि देह स्वयं स्वास्थ्य समस्याओं का निराकरण कर यौवनोद्दीप्त हो सके। तीसरा अध्याय आत्मशुद्धि को समर्पित है जिसमें चेतन और अवचेतन को ध्यानयोग साधना के माध्यम से मनुष्य शांति, प्रसन्नता और आत्मानंद की अवस्था में स्वयं को पुनर्वसित कर सकता है।

लेखक परिचय

IMG_20200616_085435

क्या आप पुस्तक लेखक से परिचित नहीं होना चाहेंगे ? ये हैं डॉ. दिव्या नाईक, सागर की सुपरिचित कहानीकार देवकी भट्ट नाईक की सुपुत्री। सागर शहर से ही आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने आयुर्वेदिक विज्ञान में इंदोर के नामचीन संस्थान, शुभदीप आयुर्वेदिक कॉलेज से BAMS की डिग्री अर्जित कर पहले वहीं के Madhav baig Multidisciplinary Cardiac Centre में विभाग प्रमुख के बतौर अपनी सेवाएं दीं। सम्प्रति पुणे के Care Ayurveda& Yoga Retreat में R.M.D. याने Resident Medical Doctor के रूप में पदस्थ हैं। उनके मन में भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के प्रति अगाध श्रद्धा रही है। वर्तमान कोरोना महामारी के चलते उन्होंने संकल्प लिया कि वे इन भारतीय उपचार पद्धतियों को लोगों के बीच उसकी समस्त वैभवशाली परम्परा को सिद्धांत और व्यवहार के स्तर पर सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाएँगी। उन्होंने आपदा को अवसर में परिणित करते हुए सागरवासियों और देश विदेश के नागरिकों के लिए बहुत सुंदर पुस्तक लिखी, लिखी ही नहीं वरन उसे प्रकाशित करवाकर ही साँस ली।

यह पुस्तक फिलहाल, ‘अमेज़न’ के ज़रिए प्राप्य है। उनके मनोयोग, धैर्य, संकल्प और मनुष्य हित में किए गए। इस पुनीत कार्य के लिए वे और उनकी माताश्री दोनों को हम नगरवासियों की ओर से अशेष बधाइयाँ। यह सागरवासियों के लिए गौरव की बात है। हमें इस उद्यम की भूरि-भूरि सराहना करनी चाहिए ताकि भविष्य में भी डॉ. दिव्या नायक में छिपी असीम संभावनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त हो सके।

🔲 प्रस्तुति : डॉ. दिनेश अत्री, साहित्यकार, सागर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *