साहित्यकार सुरेश गुप्त ‘आनंद’ पंचतत्व में विलीन, दी श्रद्धांजलि

हरमुद्दा
रतलाम,28 जून। हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर प्रदेश के सुप्रसिद्व साहित्यकार सुरेश गुप्त ‘आनन्द’ का शनिवार शाम देवलोगमन हो गया है । स्व. श्री गुप्त विगत कुछ महीनों से बीमार थे , जिनका लगातार उपचार चल रहा था। वे वरिष्ठ पत्रकार इंगित गुप्ता के पिता थे। रविवार को जवाहर नगर मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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श्री आनन्द जी की 20 से अधिक मौलिक पुस्तकें है , वही ढेड़ हजार से अधिक पत्र पत्रिकाओं में अपनी कलम चला चुके है। उन्हें साहित्यालंकार सहित दर्जनों उपाधियों से सम्मानित भी किया जा चुका है। आकाशवाणी , दूरदर्शन पर उनकी रचनाएं प्रसारित हो चुकी है। ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी, जगदीश तोमर, शैवाल सत्यार्थी, स्व भवानी प्रसाद मिश्र, कवि नीरज, शैल चतुर्वेदी, जैसे अनेको साहित्यकारों के साथ रह चुके है । ” छन छन कर आती है धूप , मेरे पर्दे से मेरे कमरे में , लड़ा बैठी आंखे मेरी दीवारों से ” उनका चर्चित गीत रहा है । उनके तीखे व्यंग्य किसी तीर के वार से कम नही रहे है । ” मैं हिंदुस्तान को हिन्दुस्तान देखना चाहता हूं , जिसने भी उठाई आंख उसे भेदना जानता हूँ , क्या हुआ मेरे पास तलबार नहीं है , मैं कलम में ही बारूद भरना चाहता हूँ ” काव्य के ऊर्जावान साहित्यकार श्री आनन्द के निधन की खबर मिलते ही उनके चाहने वाले उनके निवास पर पहुंच गए थे।

बेटे इंगित ने दी मुखाग्नि

उनकी अंतिम यात्रा निवास स्थान से निकल कर जवाहर नगर स्थित मुक्तिधाम पहुंची, जहां उनके बेटे इंगित ने मुखाग्नि दी।

दी मुक्तिधाम में श्रद्धांजलि

रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश जैन, सचिव मुकेश गोस्वामी, पत्रकार तुषार कोठारी, अरुण त्रिपाठी, संतोष जाट, बंटी शर्मा ,सुधीर जैन, दीपेंद्र सिंह ठाकुर, विजय मीणा, भाजपा जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय, पवन सोमानी, नितिन लोढ़ा, मंडल अध्यक्ष मयूर पुरोहित सहित साहित्य और मीडिया जगत से जुड़े लोगों ने स्व. सुरेश आनन्द को श्रद्धासुमन अर्पित किए ।

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