नेपाल तथा भारत के सांस्कृतिक सम्बंध अत्यंत प्राचीन : सुमन सुब्बा
🔲 नरेंद्र गौड़
नेपाल तथा भारत के कूटनीतिक सम्बंधों में भले ही इन दिनों तनाव आ गया हो, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहा। दोनों देशोें के बीच सांस्कृतिक सम्बंध अत्यंत सुदृढ़ रहे हैं। नेपाली श्रमिकों के अलावा वहां के रंग कर्मियों का भी भारतीय टीवी रंग मंच एवं कला क्षेत्र की दुनिया में भरपूर दखल रहा है।
नेपाल के अनेक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए भारतीय कला की दुनिया में खासा नाम कमाया है। ऐसी ही एक नेपाली कलाकार सुमन सुब्बा भी है। जिन्हें नेपाल तथा भारतीय टीवी फिल्मी एवं रंगमंच की दुनिया में खासा स्थान प्राप्त है।
कला के क्षेत्र में नेपाल की भूमि अत्यंत उर्वरक
सुमन सुब्बा का कहना है कि कला के क्षेत्र में नेपाल की भूमि अत्यंत उर्वरक रही है। वहां के अनेक कलाकारों ने भारतीय टीवी फिल्म एवं रंगमंच की दुनिया में खासा नाम अर्जित किया है। भारत की आजादी की लड़ाई में भी नेपाली यौद्धाओं ने ब्रिटिश हुकुमत से जमकर लोहा लिया। इस बात को नहीं भुलाना चाहिए और भारत तथा नेपाल की सरकार को चाहिए कि आपसी मनमुटाव को दूर कर दोनों देश की सीमाओं पर जो तनाव है, उसे दूर किया जाए ताकि साहित्य, संस्कृति और सृजन के जरिए फिर से सौहार्द्र स्थापित किया जा सके।
फिल्मी तथा रंगमंच की दुनिया की श्रेष्ठ कलाकार
सुमन सुब्बा के जीवन का पहला नाटक ‘कर्म को फल‘ था जो कि वर्ष 2012 में मंचित किया गया, जिसे दर्शकों की अपार सराहना मिली। इस नाटक के अनेक शो आयोजित किए गए। इनका दूसरा नाटक अस्तित्व को ’आवाज हरू’ जिसे वर्ष 2018 में मंचित किया गया। इनके इस नाटक को भी दर्शकों ने बहुत रूचि के साथ देखा और सराहा। अनेक समीक्षकों ने सुमन सुब्बा के उम्दा अभिनय की सराहना की। सुमन ने फिल्मों में भी काम किया है। जिनमें ‘उफ यो मन’, काठमांडौवाट और हिमानी फिल्मे खासी प्रसिद्ध रही है। इन फिल्मों का निर्देशन शाह द्वारा किया गया।
लोक गायिका में भी दखल
रंगमंच के अलावा सुमन सुब्बा लोक गायिका भी हैं। इन्होंने अनेक नेपाली गीतों को अपना मधुर स्वर देकर उन्हें लोकप्रिय बनाया है।
रेडियो स्टेशनों पर भी प्रतिभा का प्रदर्शन
सुमन सुब्बा ने राजनीति शास्त्र में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है। इन्होंने संगीत की आरम्भिक शिक्षा अपने गुरु मनिकमल छेत्री से प्राप्त की। इन्होंने संगीत की एकेडमिक शिक्षा दार्जलिंग के त्रिवेणी संगीतालय से प्राप्त की। इसके अलावा रेडियो स्टेशनों पर भी इनके द्वारा गाए लोकगीतों का प्रसारण होता रहा है। ब्रिटिश दार्जिलिंग, डाली निवासी सोम बहादुर सुब्बा तथा माता पेम शिला सुब्बा की प्रेरणा से इनकी प्रतिभा विभिन्न आकार ले रही है और भविष्य को लेकर इनकी अनेक योजनाएं हैं।