ऑनलाइन शिक्षा : रतलाम सहित प्रदेश के 16 जिलों के शिक्षकों की स्थिति खराब, ऑनलाइन शिक्षा से परहेज
🔲 एम शिक्षा मित्र पोर्टल पर जानकारी दर्ज नहीं की एक भी शिक्षक ने
🔲 शिक्षकों पर कार्रवाई करने में जिम्मेदार अक्षम
हरमुद्दा
रतलाम/भोपाल, 15 सितंबर। ऑनलाइन तनखा लेने वाले प्रदेश के शिक्षक ऑनलाइन शिक्षा से परहेज कर रहे हैं। लाख कोशिश के बाद भी प्रदेश के अधिकांश शिक्षक ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ने को तैयार नहीं है। जानकारी देने को तैयार नहीं है। मुद्दे की बात तो यह है कि ऐसे में कैसे ऑनलाइन शिक्षा कारगर होगी। शिक्षकों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे है। रतलाम सहित प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं जहां पर शिक्षकों ने एम शिक्षा मित्र पोर्टल पर जानकारी देने में अरुचि दिखाई है।
एम शिक्षा मित्र ऐप में जानकारी अपलोड करने में जिले के शिक्षकों ने लापरवाही की है। इस कारण ही रतलाम जिला ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना में 43 वे नंबर पर है। शिक्षक घर-घर जाकर पढ़ाने में भी पीछे हैं।
एक नजर 16 जिलों पर
प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं, जहां 35 फीसद से ज्यादा स्कूलों से एक भी शिक्षक ने एम शिक्षा मित्र पोर्टल पर जानकारी दर्ज नहीं कराई है। इनमें उज्जैन सम्भाग के रतलाम के 43 फीसद, मंदसौर जिले के 35 फीसद, देवास 46, आगर मालवा 50, मुरैना 46, निवारी व विदिशा 44-44 फीसद, बुरहानपुर व बड़वानी-शिवपुरी 40-40, खरगोन व धार 39-39, टीकमगढ़ 38, श्योपुर व जबलपुर 36-36, अलीराजपुर 57 फीसद शिक्षक शामिल हैं।
ऑनलाइन शिक्षा के लिहाज से स्थिति चिंताजनक
ऑनलाइन शिक्षा मामले में दयनीय स्थिति को अधिकारी डेटा अपडेट नहीं हो पाने की बात कहकर छिपाने का प्रयास भी कर रहे हैं। यह स्थिति ऑनलाइन शिक्षा के लिहाज से चिंताजनक है। शिक्षाविदों का कहना है कि जब शिक्षक घर-घर जाकर ही पढ़ा रहे हैं तो ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन भी पढ़ा सकते हैं। ग्रामीण विद्यार्थी अब भी ऑफलाइन शिक्षा में ही सहज महसूस करते हैं।
लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं अधिकारियों में
रतलाम जिला को 43 फीसद से भी कम प्रदर्शन करने वालों में शामिल किया गया है। एम शिक्षा मित्र ऐप पर जानकारी दर्ज कराने की शिक्षकों की स्थिति में सुधार में नहीं आ रहा है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा महज खानापूर्ति बनकर रह गई है। लापरवाह शिक्षकों की निगरानी व उन पर कार्रवाई करने की हिम्मत अधिकारी भी नहीं जुटा पा रहे हैं।