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मामला माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का : पूर्व कुलपति सहित 20 प्रोफेसरों को आर्थिक अपराध शाखा से क्लीनचिट

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🔲 कमलनाथ सरकार में हुआ था मामला दर्ज

🔲 कुलपति कुठियाला को कई बार ईओडब्ल्यू ने बुलाया पूछताछ के लिए

🔲 क्लोजर रिपोर्ट में नहीं हुए आरोप सिद्ध

हरमुद्दा
भोपाल, 30 दिसंबर। कोरोना वायरस से प्रभावित हुए 2020 साल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला समेत 20 प्रोफेसरों लगे आरोप सिद्ध नहीं हो पाए। सभी को आर्थिक अपराध शाखा ने क्लीनचिट दी है। कुलपति कुठियाला को कई बार आर्थिक अपराध शाखा ने पूछताछ के लिए भी बुलाया था।

आर्थिक अपराध शाखा द्वारा प्रोफेसरों पर दर्ज हुई एफआईआर की क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई है। इसे कोर्ट के समक्ष पेश कर दिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों के ऊपर लगाए गए आरोप दोष सिद्ध नहीं हो पाए हैं।

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तब हुआ था मामला दर्ज

बता दें कि कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में रजिस्ट्रार दीपेंद्रसिंह बघेल की जांच रिपोर्ट पर आर्थिक अपराध शाखा ने इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।

फिर भी कुलपति की नहीं हुई थी गिरफ्तारी

क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में जितने भी लोगों को आरोपी बनाया गया, उनमें से किसी पर भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि इस मामले में एमसीयू के पूर्व कुलपति कुठियाला को कई बार ईओडब्ल्यू ने पूछताछ के लिए बुलाया था। उनसे कई घंटों तक पूछताछ भी की गई थी, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

विश्वविद्यालय के खर्चे से की कई विदेश यात्राएं और खरीदी

प्रो. कुठियाला को 19 जनवरी, 2010 को नियुक्त किया गया था। उन पर आरोप थे कि आठ साल तीन महीने के कार्यकाल में कई लोगों को फायदा पहुंचाया। अपनी लंदन की यात्रा के दौरान पत्नी को भी विवि के खर्च पर यात्रा कराई। इसके अलावा उन्होंने विवि के खर्च पर ऐसे ही 13 विदेश दौरे किए। यह राशि बाद में समायोजित की गई। विवि के खर्च पर कई जगह जाकर नियमों का उल्लंघन किया। सर्जरी के लिए 58,150 रुपए, आंख के ऑपरेशन के लिए 1,69,467 रुपए का भुगतान विवि से किया गया। लैपटॉप, आइ-फोन की खरीदी विवि के खर्च पर की गई। कुठियाला हरियाणा में उच्च शिक्षा से संबंधित पद पर भी रहे हैं।

प्रोफेसरों पर लगे यह आरोप

🔲 डॉ. अनुराग सीठा : फर्जी तरीके से नियुक्ति पाने का आरोप।

🔲 डॉ. पी. शशिकला : तीन बार पदोन्नति दी गई।

🔲 डॉ. पवित्र श्रीवास्तव : कुठियाला के कार्यकाल में बनाया प्रोफेसर।

🔲 डॉ. अविनाश वाजपेयी : पर्यावरण में पीएचडी और प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर और विभाग अध्यक्ष बने।

🔲 डॉ. अरुण कुमार भगत : भोपाल कैंपस लाया गया, लेकिन दो साल के लियन पर दिल्ली लौटे।

🔲 प्रो. संजय द्विवेदी : बिना पीएचडी बने प्रोफेसर।

🔲 डॉ. मोनिका वर्मा : नोएडा कैंपस भेजा। अनुभव कम होने के बाद भी पहले रीडर फिर प्रोफेसर बनाया।

🔲 डॉ. कंचन भाटिया : फर्जी नियुक्ति की गई।

🔲 डॉ. मनोज कुमार पचारिया : फर्जी नियुक्ति का आरोप।

🔲 डॉ. आरती सारंग : योग्यता नहीं होने के बाद भी दी प्रोफेसर की रैंक।

🔲 डॉ. रंजन सिंह : आरक्षण के तहत गलत तरीके से नियुक्ति दी।

🔲 सुरेंद्र पाल : तबादला नोएडा कैंपस में किया गया। गलत तरीके से आरक्षण का लाभ दिया।

🔲 डॉ. सौरभ मालवीय : विवादित तरीके से नियुक्ति दी।

🔲 सूर्य प्रकाश : नियमों के खिलाफ नियुक्ति में आरक्षण का लाभ दिया।

🔲 प्रदीप कुमार डहेरिया : विवि में काम करते हुए पत्रकारिता की नियमित डिग्री ली।

🔲 सतेंद्र कुमार डहेरिया : बिना स्टडी लीव लिए पत्रकारिता की डिग्री ली।

🔲 गजेंद्र सिंह अवश्या : नौकरी के दौरान डिग्री ली।

🔲 डॉ. कपिल राज चंदोरिया : डिग्री संदिग्ध है।

🔲 रजनी नागपाल : पत्रकारिता की डिग्री न होते हुए भी नियुक्ति दी गई।

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