श्रीराम की भाँति हमारे समाज ने निरंतर संघर्ष का पथ चुना, पलायन का नहीं
🔲 सामाजिक सदभावना बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक विजेंद्र गोठी ने कहा
🔲 श्रीराम मंदिर निर्माण अभियान की योजना के समग्र स्वरूप की चर्चा में 2 दर्जन से अधिक समाज प्रमुख हुए शामिल
हरमुद्दा
रतलाम, 4 जनवरी। हमारा समाज भगवान श्रीराम की पूजा करता है, उनकी बात जन-जन में करता है लेकिन आचरण और अनुसरण श्री राम के अनुसार करता है क्या ? अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सौभाग्य हमें इसलिए प्राप्त हुआ है क्योंकि श्रीराम की भाँति हमारे समाज ने निरंतर संघर्ष का पथ चुना और पलायन नहीं किया। अतः 500 वर्षों के संघर्षों के पश्चात हमारी पीढ़ी इन्हीं आँखों से श्रीराम का भव्य मंदिर का निर्माण होते देखेगी।
यह विचार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अभियान समिति के तत्वावधान में आयोजित सामाजिक सदभावना बैठक में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक विजेंद्र गोठी ने व्यक्त किए।
अभियान की योजना के समग्र स्वरूप की चर्चा हुई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विभाग प्रचार प्रमुख डॉ. रत्नदीप निगम ने हरमुद्दा को भवन में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण अभियान समिति द्वारा आयोजित बैठक में सर्व समाज के जाति समाज प्रमुखों के समक्ष श्रीराम मंदिर निर्माण अभियान की योजना के समग्र स्वरूप की चर्चा हुई। सभी ने कोविड-19 पालन किया।
चेतना से राष्ट्र मंदिर का निर्माण
श्री गोठी ने कहा कि यह केवल मंदिर निर्माण का अभियान नहीं अपितु मंदिर के साथ साथ जो चेतना प्रवाहित हो रही है उससे राष्ट्र मंदिर का निर्माण करना है । जिससे भेदभाव रहित समरस समाज का निर्माण देश में हो सके।
सुझाव और विचार किए प्रस्तुत
उदबोधन के पश्चात बड़ी संख्या में उपस्थित समाज प्रमुखों ने भी चर्चा में भाग लेते हुए अपने सुझाव एवं प्रभावी विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर आगामी योजना की जानकारी अभियान के नगर सह संयोजक सुरेंद्र सिंह भामरा ने प्रदान की। अतिथि परिचय सामाजिक सदभावना के नगर प्रमुख कमलेश भण्डारी ने कराया। सदभावना बैठक की भूमिका रखते हुए संचालन डॉ. निगम ने किया।
दो दर्जन से अधिक समाज के प्रमुखों ने की सहभागिता
नगर प्रचार प्रमुख पंकज भाटी ने बताया कि समाज प्रमुखों की बैठक में समग्र हिन्दू समाज के विभिन्न जाति समूहों में वाल्मीकि समाज , रविदास समाज, जांगिड़ पोरवाल समाज, माहेश्वरी समाज, सिख समाज, अग्रवाल समाज, सूर्यवंशी समाज, कोली समाज, क्षत्रिय समाज, राजपूत समाज, जांगिड़ ब्राह्मण समाज, टाँक समाज, सिंधी समाज, दर्जी समाज, जायसवाल समाज, गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज, त्रिस्तुतिक जैन समाज, खटिक समाज, जाट समाज, महाराष्ट्र समाज, माली समाज, भावसार समाज, सेन समाज, स्वर्णकार समाज के प्रमुख, नवयुवक मंडल, महिला मंडल के पदाधिकारी सहित सभी समाजों के प्रतिष्ठित जन ने उपस्थित होकर अपनी सहभागिता प्रदान की।