कोरोना को मात : 90 प्रतिशत फ़ेफ़डे संक्रमित, फ़िर भी नहीं हारा लाखन, सायकल चलाकर गया घर
हौसला और डॉक्टर, मरीज़ का एक दूसरे पर भरोसा
डॉ. गोहिल के उपचार से मिली नई ज़िंदगी
हरमुद्दा
शाजापुर, 20 मई। देश-दुनिया में इंसानी ज़िंदगी के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बने कोरोना वायरस को मात देकर स्वस्थ होने वालों की वैसे तो कोई कमी नहीं है, मगर जब फ़ेफ़डों में संक्रमण 90 प्रतिशत हो तो मौत से लड़ाई जीतना न केवल मरीज़ बल्कि ईलाज कर रहे डॉक्टर के लिए भी आसान नहीं होता है। मगर हौसला और डॉक्टर, मरीज़ का एक दूसरे पर भरोसा हो तो ये मुश्किल भी आसान हो जाती है।
मौत से ज़िंदगी के सिर्फ़ 12 दिन में जीत जाने का हुआ ये चमत्कार
मौत से ज़िंदगी के सिर्फ़ 12 दिन में जीत जाने का ये चमत्कार हुआ है, शाजापुर स्थित गोहिल सम्पूर्ण हॉस्पिटल में। ग्राम सामगीमाना निवासी लाखन सिंह कोरोना संक्रमण की चपेट आ गए और जब तक उचित उपचार मिलता वायरस ने फ़ेफ़डों को 90 प्रतिशत संक्रमित कर दिया था।
जिंदगी पर भारी पड़ रहा था कोरोना, चिकित्सकीय अनुभव से था हराना
कई अस्पतालों की ख़ाक छानने के बाद लाखन सिंह को उपचार के लिए डॉ. प्रवीण सिंह गोहिल ने अपने निजी अस्पताल में भर्ती कर ईलाज शुरू किया। लगातार ऑक्सीज़न लेवल कम होने से लाखन सिंह के जीवन पर कोरोना भारी पड़ रहा था, मगर एक संवेदनशील और मरीज़ के प्रति पूरी ज़िम्मेदारी रखकर सही उपचार करने वाले डॉ. गोहिल ने अपने चिकित्सीय अनुभव से बेहतर ईलाज करना जारी रखा। इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप आख़िर गुरुवार को वह दिन भी आ ही गया, जब लाखन सिंह मौत को मात देकर पूर्णतः स्वस्थ होकर सायकल चलाकर अस्पताल से अपने घर के लिए रवाना हुआ।
कोरोना वायरस से डरने का नहीं, लड़ने का जज्बा जरूरी
लाखन सिंह ने स्वस्थ होकर घर जाते समय एक संदेश भी दिया, वह सायकल चलाकर गोहिल अस्पताल से गया और वहां उपचार करा रहे अन्य मरीज़ों को भी इस जानलेवा बीमारी से डरने नहीं बल्कि लड़कर जीतने का हौंसला दिया है। स्मरण रहे इस कोरोना संक्रमण काल में शाजापुर ज़िला ही नहीं पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था लाकवाग्रस्थ है, ऐसे में यहां बहुत गंभीर और मौत को छूकर अपने घर पहुंचने वाले मरीज़ों की तादाद बेहद कम है।
सीमित संसाधनों में भी जुटे रहे डॉक्टर गोहिल
कहना होगा कि डॉ. प्रवीण सिंह गोहिल ने सीमित संसाधनों, ऑक्सीज़न और जीवन रक्षक दवाईयों के अभाव के बीच अपने पास आए मरीज़ों का बेहतर उपचार किया और आज उनके प्रयास से जानलेवा कोरोना वायरस से ठीक हुए पीड़ित अपने घर पहुंच रहे हैं।