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तहसीलदार तथा महाकाल मंदिर के पुजारी के बीच काफी गहमा गहमी

 महाकाल मंदिर तथा चारभूजानाथ मंदिर की लगभग 44 हेक्टर भूमियों की नीलामी में इस वर्ष लगभग 7 लाख रुपए की अधिक आय

 कम बोली आने पर नीलामी रोकी

हरमुद्दा
पिपलौदा, 10 जून। लंबे समय से इंतजार कर रहे किसानों को तहसील के विभिन्न मंदिरों की कृषि भूमियों की नीलामी से राहत मिली है। नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्थल मंदिर, महाकाल मंदिर तथा चारभूजानाथ मंदिर की लगभग 44 हेक्टर भूमियों की नीलामी में इस वर्ष लगभग 7 लाख रुपए की आय गत वर्ष से अधिक हुई है। इसमें ग्राम सरसाना स्थित भूमि की कम बोली आने पर नीलामी रोकी गई है।

विभिन्न मंदिरों की भूमियों की नीलामी को लेकर किसान लाॅकडाउन में चिन्तित थे, लेकिन जैसे ही लाॅकडाउन खुला मंदिरों की शासकीय भूमियों की खुली नीलामी तहसील कार्यालय के बाहर की गई। विगत 11 वर्षों से नीलाम नहीं हो रही थी। भारी गहमा गहमी के बीच महाकाल मंदिर की 9.768 हेक्टियर भूमियों की नीलामी भी की गई। हांलाकि मंदिर के पुजारी ने स्थगन आदेश की प्रति तहसीलदार को उपलब्ध करवाई, लेकिन उन्होंने प्रमाणित प्रति नहीं होने से मानने से इंकार कर दिया। सर्वाधिक बोली 4 लाख 3 हजार रुपए रही तो सबसे कम 1 हजार 750 रुपए की बोली लगाई गई।

व्यवस्था बनाने के लिए तहसीलदार ने बुलवाया पुलिस को


तहसीलदार किरण बरवड़े ने बताया कि इस वर्ष अस्थल मंदिर की 32.125 हेक्टर भूमि 10 लाख 17 हजार 850 रूपए में, मंहाकाल मंदिर की 9.768 हेक्टर भूमि 4 लाख 95 हजार 500 रुपए में तथा चारभूजानाथ मंदिर की 7 बीघा जमीन 1 लाख 3 हजार रुपए में किसानों को खुली नीलाम बोली के आधार पर एक वर्ष कृषि कार्य के लिए दी गई है। इन सभी भूमियों की गतवर्ष नीलामी में 9 लाख 71 हजार 700 रुपए की आय शासन को हुई थी, जबकि इस वर्ष कुल आय 16 लाख 16 हजार 350 रुपए रही।
नीलामी प्रक्रिया के दौरान तहसीलदार तथा महाकाल मंदिर के पुजारी राहुल दुबे के बीच काफी गहमा गहमी हुई, जिसे देखते हुए व्यवस्था बनाने के लिए तहसीलदार ने पुलिस को बुलवा लिया था।

11 साल से नहीं हो रही थी नीलामी

इसमें मंदिर पुजारी राहुल पिता नरेन्द्र दुबे का कहना था कि विगत 11 वर्षों से मंदिर की भूमियों की नीलामी नहीं की जा रही है। यह भूमियां उच्च न्यायालय में विचारधीन प्रकरण के तहत स्थगन प्राप्त है। इसके लिए पुजारी ने 4 जून को तहसीलदार को आवेदन देकर नीलामी रोकने का आग्रह भी किया था। तहसीलदार द्वारा नहीं मानने पर पुजारी ने अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन दिया है। इस बीच कुछ किसानों का कहना है कि उन्होने भूमियों को पूर्ववत मंदिर के पुजारी से वार्षिकी अनुसार लेकर हंकाई, जुताई भी कर दी है, इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

स्थगन जैसा कोई दस्तावेज प्रतीत नहीं

तहसीलदार किरण बरवड़े ने हरमुद्दा को बताया कि मैंने दस्तावेजों का परीक्षण किया है, मुझे उच्च न्यायालय के स्थगन जैसा कोई दस्तावेज प्रतीत नहीं होता है। प्रस्तुत स्थगन की प्रमाणित प्रति भी पुजारी ने प्रदान नहीं की है, मात्र ऑनलाइन काॅपी है, जिसकी प्रमाणिकता पर संदेह है। इसी आधार पर भूमियों की नीलामी की गई है। जिन किसानों ने पुजारी से वार्षिकी आधार भूमियों को लेकर उनकी हंकाई, जुताई की है, यह पुजारी तथा उन किसानों के बीच का मामला है। नीलामी प्रक्रिया के दौरान पटवारी रमेश रैदास तथा रीडर धर्मेंद्र सहित लगभग 70 किसान उपस्थित रहे।

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