सर्वर गए न उबरे बैंक, ऑफिस, फोन

 संजय भट्ट

कई सारे काम ऑनलाइन हो गए है। पढ़ाई से लेकर बीमारी तथा बैंक से बीमा तक सारी सुविधाओं का लाभ ऑनलाइन ले सकते हैं। इन सब में बस परेशानी के दो नाम है नेटवर्क और सर्वर। वैसे हैं तो दोनों सगे भाई ही लेकिन कहते हैं कि भाई जैसा दोस्त नहीं और भाई जैसा दुश्मन नहीं। बस इनमें यह कहावत फिट बैठती है। जब दोनों मिल जाते हैं तो सभी की पौ बारह हो जाती है, लेकिन जब ये एक दूसरे से मुॅंह फुला बैठते हैं तो फिर देखो इनका कमाल, सर्वर चालू है, लेकिन नेटवर्क नहीं और नेटवर्क चालू हो तो सर्वर डाउन। वैसे ऐसा तब होता है जब शनि, मंगल, राहु, केतु सब आपकी राशि में हो।

वैसे यह सर्वर नेटवर्क से ज्यादा नाराज रहता है। यह काम तो बहुत करता है, लेकिन आलसी भी इतना ही है। जब मन करे तब सो जाता है। और जब ये सो जाता है तो कुम्भकर्ण को जगाना तथा इसको उठाना दोनों एक जैसा ही है। ये स्वैच्छाचारिता के मामले में किसी तानाशाह से कम नहीं। इसके मन के अनुरूप चलता है, किसी की सुनना इसको पसंद नहीं। यह भी निजीकरण का प्रेमी है, इसीलिए इसका आतंक सरकारी कार्यालयों में अधिक देखने को मिलता है। यह वैसे कर्मचारियों का मित्र भी है, जब काम नहीं करने का मन हो तो वे इसकी मित्रता का लाभ ले लिया करते हैं। जब किसी ने कह दिया कि सर्वर डाउन है तो मान कर चलिए आपके काम के लिए कितनी भी बड़ी सिफारिश क्यों न लगी हो काम नहीं हो सकता है।

आज कल हर जगह इसी का बोल बाला है। कलयुग में इंटरनेट, कम्युटर और सर्वर इन तीनों ने जितना नाम कमाया, उतना किसी का नाम नहीं चल पाया। इसका जितना फायदा है उतना ही नुकसान भी है। ये अपनी ताकत का एहसास सभी को समय-समय पर करवाते रहते हैं। कभी नेटवर्क स्लो हो जाता है, कभी कंप्युटर में वायरस आ जाता है और कभी सर्वर डाउन हो जाता है। अब यह मान लो कि कलयुग में जीना है तो इन तीनों का साथ जरूरी है। सुबह उठ कर भगवान से आपकी सलामती मांगों न मांगो पर इन तीनों का साथ जरूर मांग लिया करो, नहीं तो पता नहीं कब, कहॉं और कैसे किसका सर्वर डाउन हो जाए और आपका बनता काम बिगड़ जाए।
इस दौर में रहिमदास जी होते तो कहते-
रहिमन सर्वर राखिए बिन सर्वर अब कौन।
सर्वर गए न उबरे ऑफिस बैंक और फोन।।

 संजय भट्ट

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