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धर्म का सेवक बन करो भगवान की आज्ञा का पालन-प्रवर्तकश्री

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हरमुद्दा
रतलाम, 15 अप्रैल। नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में आचार्य श्री धर्मदास जी की जयंती जप, तप एवं त्याग तपस्या के साथ मनाई गई। आचार्य प्रवर श्री उमेशमुनिजी म.सा.के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. ने इस मौके पर धर्मानुरागियों से धर्म का सेवक बन भगवान की आज्ञा का पालन करने का आह्वान किया।
श्री धर्मदास जैन श्री संघ द्वारा आयोजित धर्मसभा में प्रवर्तकश्री ने कहा कि आचार्यश्री धर्मदासजी में यथा नाम तथा गुण था। इस संसार में कई आत्माएं जन्म लेती है, लेकिन जन्म के बाद अपना जीवन आत्म और सर्व कल्याण के लिए समर्पित करने वालों को ही याद किया जाता है।
जीवन बन गया यादगार
आचार्यश्री ने जिनशासन की प्रभावना करते हुए संयम का पालन इस तरह किया कि उनका जीवन यादगार बन गया। वे जिस तरह धर्म के दास बनकर रहे, उसी तरह हमे भी धर्म का सेवक बनने का प्रयास करना चाहिए।
तो संयम होगा निर्मल
प्रवर्तकश्री ने इस मौके पर क्रोध, लोभ, मोह, माया आदि कषायों के वश में आकर कुछ भी बोलने से बचने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि कषायों से प्रेरित सत्य बात को भी असत्य माना जाता है। इसलिए कषायों को हावी नहीं होने दे। कषाय जितने मंद होंगे, संयम उतना ही निर्मल बनता जाएगा। श्री रविमुनिजी म.सा.ने भी विचार रखे। इस मौके पर कई धर्मालुजनों ने विभिन्न जप, तप करने के प्रत्याख्यान लिए। संचालन सौरभ कोठारी ने किया। इस दौरान संघ अध्यक्ष अरविंद मेहता सहित पदाधिकारीगण एवं श्रावक-श्राविकागण उपस्थित थे।

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