नदिया के पार : चुनावी वादों तथा प्रशासनिक नाकामी के चलते नारकीय जीवन जीने को मजबूर 60 परिवार
कालबेलिया समाज की है बस्ती
पूर्वजों के जमाने से चल रही पुलिया की मांग
हरमुद्दा
पिपलौदा, 11 अगस्त। सिर्फ चुनावी वादों तथा प्रशासनिक नाकामी के सहारे तहसील के ग्राम नांदलेटा के लगभग 60 परिवारों के 250 से अधिक निवासी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। यह बस्ती कालबेलिया समाज के लोगों की होकर ग्राम से लगभग डेढ़ कि.मी.दूर नदी के पार बसी है। बारिश के मौसम में यहां जिन्दगी भगवान के भरोसे पर है। मुद्दे की बात तो यह है कि इनकी समस्याओं को लेकर जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी से लेकर नीचे तक के अधिकारियों को कोई खबर नहीं है। इसे गांव से कटा हुआ भाग नहीं मान कर सभी मामला दिखवाने का आश्वासन दे रहे हैं।
जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत नांदलेटा यहां की कालबेलिया बस्ती जहां प्राथमिक शिक्षा तथा आंगनवाड़ी की शासकीय सुविधा है, लेकिन यह बस्ती मुख्य ग्राम से डेढ़ कि.मी. की दूरी पर नदिया के पार बसी है। यह ग्राम नांदलेटा का हिस्सा होने के बाद भी यहां से ग्राम के लिए कोई सुलभ रास्ता नहीं है। इन लोगों को रतलाम जनपद के ग्राम भैंसाडाबर होकर ही कहीं भी आना जाना पड़ता है।
जिंदगी और मौत के बीच होता है हमेशा संघर्ष
नदी में हमेशा पानी रहने से यहां गैस की टंकी भरवाना हो, बीमार को लेकर स्वास्थ्य केन्द्र जाना हो या गर्भवती महिलाओं की प्रसूति ही करवाना हो सभी जिन्दगी और मौत के बीच के संघर्ष को पार कर के ही जाना पड़ता है।
और घोषणा रह गई अधूरी
जावरा विधानसभा के इस क्षेत्र के लिए सांसद सुधीर गुप्ता ने शीघ्र कार्य करवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद हर चुनावी वादे की तरह यह भी अधूरी ही घोषणा है। ग्राम के रतननाथ तथा कारूनाथ का कहना है कि बस्ती में उनके पूर्वजों के समय से ही पुलिया की मांग चली आ रही है, लेकिन यह सिर्फ मांग है, जिस पर मात्र आश्वासन मिलता है। देश में विकास की बात की जा रही है, लेकिन विकास की परिभाषा हमारे बच्चे सिर्फ किताबों में पढ़ते हैं, हमे तो यह भी ठीक से नसीब नहीं हुआ।
जान जोखिम में डाल कर होती नदी पार
ग्राम के विक्रमनाथ, गुड्डानाथ, जितेन्द्रनाथ बताते हैं कि यहां के रहवासी अत्यंत गरीब है तथा मजदूरी करके अपना पालन पोषण करते हैं। यहां राशन की दुकान, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, बस स्टैंड सहित कहीं भी जाना हो नदी को पार करके डेढ़ किमी पैदल सफर कर जाना होता है। यहां के लिए एक अन्य रास्ता रतलाम जनपद पंचायत के ग्राम भैंसाडाबर होकर जाता है, जिसके लिए 8 से 10 किमी तक का पैदल चलना होता है। यहां दैनिक कामों के लिए भी बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सभी को जान जोखिम में डाल कर नदी पार करना ही पड़ती है।
नहीं हुआ काम
काफी प्रयास किया है। विधायक, सांसद, जिला पंचायत तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को भी समय-समय पर अवगत करवाया है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है। काम नहीं हुआ है।
इंद्रजीतसिंह, ग्राम पंचायत के प्रधान
आज तक किसी ने नहीं करवाया अवगत
ग्राम से कोई भाग कटा हुआ है, इसकी जानकारी से आज तक किसी ने अवगत नहीं करवाया है। कार्य योजना में भी इस प्रकार का कोई काम कभी किसी जनप्रतिनिधि के माध्यम से नहीं आया है। यदि समस्या वास्तविक है तो इसे दिखवाया जाएगा।
मीनाक्षी सिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत रतलाम