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जिसका कोई नहीं उसका तो … : तीन का अंतिम संस्कार एक साथ

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🔲 कोई नहीं था दुनिया में तीनों का

🔲 काली हो गई थी सबकी चहेती

हरमुद्दा
रतलाम, 13 अगस्त। “जिसका कोई नहीं उनका तो खुदा है यारों, मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारों” गीत की पंक्तियां चरितार्थ हुई। 3 का अंतिम संस्कार एक ही दिन में हुआ, जिनका दुनिया में कोई नहीं था। दो बुजुर्ग और एक युवती अलविदा कह गई। खास बात तो यह है कि युवती 4 साल से जिला अस्पताल आइसोलेशन वार्ड में ही थी। उसका रहन-सहन, आचार विचार, व्यवहार सब कुछ अलग था, वह सबकी चहेती हो गई थी। इतना ही नहीं आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों की देखभाल में काफी मदद करती थी।

समाजसेवी और काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी ने बताया कि लगभग 4 वर्ष पूर्व 16 अक्टूबर 2017 को शिवगढ़ थाना क्षेत्र से 33 वर्षीय अज्ञात महिला गंभीर हालत में मिली। वह बीमारी से ग्रस्त थी। शरीर में कीड़े पड़ गए थे। उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया, तब से भर्ती महिला उपचार पाकर ठीक होती गई।

जैसा रंग रूप पैसा पड़ गया नाम

काले रंग रूप से दक्षिण भारतीय होने के कारण सभी उसे काली नाम से पुकारने लगे। वह पूरे अस्पताल में देखते-देखते डॉक्टर, सिस्टर, सफाई कर्मी, मीडियाकर्मी, पुलिस प्रशासन आदि सबकी चहेती बन गई। ना बोल पाने वाली काली के घर की तलाश करने की बहुत कोशिश की गई।

एसपी ने भी किए आपने तई प्रयास

काली के परिजनों को ढूंढने की इस कोशिश में पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी, दक्षिण भारत के रहने वाले कई समाजसेवी, मूक बधिर विद्यालय के ट्रेनर सहित अनेक लोगों ने प्रयत्न किए गए परंतु सफलता हाथ नहीं लगी।

जब भी पिछड़ों को लेने परिजन आते तो इशारों में कहती मुझे कब…?

इशारों में वह अपने दो बच्चे बताती थी। पति के लिए बैंड बाजे बजाने का इशारा करती थी। उससे जब भी हम लिखवा थे तो वह दक्षिण भारत की 2-3 भाषा लिखती परंतु उसका कोई वाक्य एक दूसरे से जुड़ा हुआ नहीं होता, जिससे जानकारी निकल सके। अस्पताल में जब भी पिछड़ों को घरवालों से मिलाने का प्रसंग होता था, तब वह चार-पांच दिन तक बहुत उत्तेजित होकर खुद को भी घर भेजने के लिए जिद पकड़ती थी। बड़ी मुश्किल से उसे समझाना पड़ता था।

यह सब करना अच्छा लगता था काली को

फोटो खिंचवाना, नाचना, गले में माला, हाथ में अंगूठी ,जेब में पर्स एवं कंगा रखना, पुरुषों के जैसे कपड़े पहनना उसके शोक रहे। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को ड्रेसिंग करवाना, वार्ड की साफ-सफाई, सुरक्षा आदि सभी का वह ध्यान रखती थी। एकाएक तबीयत बिगड़ी और वह घरवालों को याद करते हुए दुनिया से विदा हो गई।

दो बुजुर्ग ने भी छोड़ दी दुनिया

आइसोलेशन वार्ड में ही भर्ती स्टेशन रोड से 108 द्वारा लाए 60 वर्षीय बुजुर्ग एवं प्रताप नगर से लाए 70 वर्षीय बुजुर्ग दोनों की भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

समाजसेवियों से मिली आर्थिक मदद से हुआ अंतिम संस्कार, दी श्रद्धांजलि

जिला अस्पताल पुलिस चौकी प्रभारी अशोक शर्मा ने बताया कि तीनों लावारिसों का एक साथ अंतिम संस्कार भक्तन की बावड़ी पर विधि विधान से किया। इस पुनीत कार्य के लिए देवेंद्र चोपड़ा परिवार, मीनू भाई टेंट हाउस वाले, आइसोलेशन वार्ड परिवार, रोगी कल्याण समिति सदस्य एवं काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी, गजेंद्र ओझा, सुरेंद्र राठौर, सांवरिया भाई, मनोज प्रजापति ने मिलकर किया किया। समन्वय परिवार, प्रभु प्रेमी संघ, रोगी कल्याण समिति व काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की।

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