Tokyo Paralympics : भारत की भाविना पटेल ने सिल्वर मेडल जीतकर रचा इतिहास, राष्ट्रीय खेल दिवस बनाया खास
सिल्वर मेडल दिला कर किया कमाल, गोल्ड नहीं मिलने का रहा मलाल, गृह नगर मेहसाना में होली दिवाली का माहौल
हरमुद्दा
रविवार, 29 अगस्त। टोक्यो पैरालंपिक खेलों के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी दिव्यांग (Handicapped) भाविना पटेल (Bhavina Patel) ने भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस पर सिल्वर मेडल जीत लिया। भाविना ने राष्ट्रीय खेल दिवस को खास बनाते हुए इतिहास रच दिया है। भाविना के गुजरात के गृह नगर मेहसाणा में होली दिवाली के जश्न का माहौल है।
19 मिनट तक चले मुकाबले में भाविना पटेल वर्ल्ड नंबर वन यिंग को कड़ी टक्कर देने में कामयाब नहीं हो पाई। यिंग ने पहले गेम से ही भाविना पर दबाव बना लिया। यिंग ने पहला गेम 11-7 से अपने नाम किया। दूसरे गेम में तो यिंग का प्रदर्शन और ज्यादा शानदार रहा और उन्होंने दूसरा गेम 11-5 से अपने नाम किया। तीसरे गेम की शुरुआत में भाविना ने वापसी की कोशिश की लेकिन यिंग ने तीसरा गेम भी 11-6 से जीतकर दिखा दिया कि क्यों वो दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी हैं।
मेहसाणा में जश्न
टोक्यो पैरालंपिक में दिव्यांग खिलाड़ी पटेल की भिड़ंत चीन की खिलाड़ी से हुई लेकिन भाविना गोल्ड मेडल हासिल करने में एक कदम दूर रह गई और सिल्वर मेडल से ही संतुष्ट होना पड़ा। शनिवार को भाविना ने कहा कि वह खुद को दिव्यांग नहीं मानती और टोक्यो गेम्स में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है। गोल्ड मेडल हासिल नहीं करने का थोड़ा मलाल तो है लेकिन सिल्वर मेडल जीतकर भी भाविना ने कमाल कर दिया है। दिव्यांग खिलाड़ी भाविना के गृह नगर मेहसाणा में होली दिवाली का माहौल है। जहां रंग गुलाल लगाकर बधाई शुभकामनाएं दे रहे हैं, वही खुशी का इजहार करते हुए आतिशबाजी की जा रही है।
मुझे यकीन था मैं कुछ कर सकती हूं
एक साल की उम्र में पोलियो की शिकार हुई भाविनाबेन पटेल (Bhavina Patel) ने कहा, ‘मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती। मुझे हमेशा से यकीन था कि मैं कुछ भी कर सकती हूं और मैने साबित कर दिया कि हम किसी से कम नहीं है और पैरा टेबल टेनिस भी दूसरे खेलों से पीछे नहीं है।
चीन को हराना मुमकिन
दिव्यांग खिलाड़ी पटेल ने कहा,‘मैंने चीन के खिलाफ खेला है और यह हमेशा कहा जाता है कि चीन को हराना आसान नहीं होता है। मैने साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। हम कुछ भी कर सकते हैं। पटेल ने कहा कि खेल के मानसिक पहलू पर फोकस करने से उन्हें मैच के दौरान मदद मिली।
4 बजे उठकर करती हैं योग
उन्होंने कहा,‘मेरा दिन सुबह 4 बजे शुरू हो जाता है और मैं ध्यान तथा योग के जरिए मानसिक एकाग्रता लाने की कोशिश करती हूं। मैचों के दौरान कई बार हम जल्दबाजी में गलतियां करते हैं और प्वाइंट्स गंवा देते हैं लेकिन मैंने अपने इमोशन पर कंट्रोल रखा।
कोच का किया शुक्रिया अदा
सिल्वर मेडल जीतने के बाद भाविना ने कहा,‘मैं अपने कोचेज का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मुझे तकनीक सिखाई। उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंच सकी। भारतीय खेल प्राधिकरण, टॉप्स, पीसीआई, सरकार, ओजीक्यू, नेत्रहीन जन संघ, मेरे परिवार को भी मै धन्यवाद देती हूं। हौसला बुलंद हो तो मंजिल मिल सकती है मैंने गोल्ड मेडल को लक्ष्य बनाकर अपना बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश की।
भाविना बेन पटेल की खेल झलकियां