अभिमान, प्रसिद्धि का नशा अधिक दिन नहीं टिकता:पद्मभूषण रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी
हरमुद्दा
रतलाम,19 अप्रैल । सद्कार्य, दान ,उपकार आदि हर कार्य में कई लोगों को एक ही नशा रहता है, वह है प्रसिद्धि का नशा। इस नशे से बचना जरूरी है। कुछ किया नहीं और में कुछ नहीं हूं पर आत्मावलोकन कीजिए अभिमान, प्रसिद्धि का नशा अधिक दिन टिकता नहीं है।
यह बात राज प्रतिबोधक, पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा.ने कही। आचार्यश्री ने सैलाना वालों की हवेली,मोहन टाकीज में 11 दिवसीय प्रवचनमाला को अंतिम दिन “प्रसिद्धि-शुद्धि-सिद्धि” विषय पर संबोधित करते हुए नेक कार्यो में निस्वार्थ भाव रहने पर जोर दिया।
प्रसिद्धि की भूख से बढ़ती है दूरी
उन्होंने कहा कि मानव मन की कमजोरी यह है कि मेरे प्रति सबका ध्यान होना चाहिए। इसका कारण है प्रसिद्धि का नशा। करोड़ों होने के बाद 10 हजार के लिए झूठ बोलना, प्रवचन के बाद बाजार में अलग चेहरा दिखाना ठीक नहीं है। आखिर मनुष्य क्या ले के बैठा है, अभिमान और प्रसिद्धि का नशा अधिक टिकता नहीं है। यह किसी भी दिन उत्तर जाएगा। इसके कारण आपस मे दूरी ना बढ़ाएं। प्रत्येक ह्रृदय में आपस की दूरी पाटने की ताकत है।
पुलवामा के बाद क्या फर्क आया
हॄदय परीक्षण पर जोर देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद आपके दैनिक जीवन में क्या फर्क आया? कच्छ और भुज में भूकंप के बाद आपने क्या त्याग किया ? क्या मिठाई छोड़ी क्या उपवास किया, क्या चाय छोड़ी नहीं तो ये आपके हॄदय की कठोरता है। ऐसे हृदय में धर्म का प्रवेश कैसे होगा।
उदारता जरूरी, वरना कोई नहीं आएगा पास
दान,धर्म का पुण्य भी तभी मिलेगा,जब हम उदार होंगे। जिस प्रकार कांटे, गटर, कचरे के पास कोई नहीं जाता। सब बचकर निकल जाते हैं। उसी प्रकार कठोर व्यक्ति के पास भी कोई नहीं आना चाहता, उन्हें कोई नहीं पुकारता है।
अच्छा स्वभाव सिद्धि का परिचायक
उन्होंने सवाल किया कि अमीर बनना या उदार ? और कहा कि बिना उदारता की अमीरी का कोई महत्व नहीं होता। मनुष्य का स्वभाव कैसा ? इस पर ही सबकुछ निर्भर है। स्वभाव अच्छा होना सिद्धि का परिचायक है।प्रवचनमाला का संचालन मुकेश जैन ने किया।
रविवार से शुरू होगा 8 दिवसीय आचार महिमा महोत्सव
श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी के तत्वावधान में 21 अप्रैल से पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा.के सुशिष्य पन्यास प्रवर श्री युगसुन्दर विजयजी म.सा.के आचार्य पद प्रदान प्रसंग पर 8 दिवसीय आचार महिमा महोत्सव आयोजित किया गया है।रुद्राक्ष कालोनी,लक्ष्मी नगर,हरमाला रोड़ पर होने वाले इस महोत्सव के दौरान विभिन्न अनुष्ठान होंगे। श्री संघ अध्यक्ष सुनील ललवानी, उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने बताया कि महोत्सव की शुरुआत 21 अप्रैल को सुबह 9 बजे आचार्यश्री के 53 वें दीक्षा दिवस कार्यक्रम से होगी। समापन 28 अप्रैल को आचार्य पदवी के भव्य कार्यक्रम के साथ होगा। उन्होंने धर्मप्रेमी नागरिको से इस अवसर पर अधिक से अधिक उपस्थित रहने का आह्वान किया है।