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लगभग डेढ़ लाख पद रिक्त : विभिन्न विभागों में अनारक्षित वर्ग के पदों की पूर्ति को लेकर सपाक्स के स्वर हुए मुखर

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 राज्य तथा केन्द्र सरकार पर लगातार दबाव की रणनीति पर विचार

शरद भट्ट /हरमुद्दा
रतलाम, 10 अक्टूबर। विभिन्न विभागों में अनारक्षित वर्ग के पदों की पूर्ति को लेकर सपाक्स के स्वर मुखर हो गए हैं। इसको लेकर राज्य तथा केन्द्र सरकार पर लगातार दबाव की रणनीति (Strategy of constant pressure on the state and central government) पर विचार किया जा रहा है। संगठन किसी वर्ग विशेष का विरोध नहीं करता है। मगर सामान्य और पिछड़े वर्गों को प्रतियोगियों को प्रदेश सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति के विरोध में आगे आना जरूरी है। इसके लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा। मध्यप्रदेश में लगभग डेढ़ लाख पद रिक्त है।

सपाक्स जिलाध्यक्ष परीक्षित पुरोहित

सपाक्स के जिलाध्यक्ष परीक्षित पुरोहित (Parikshit priest) ने हरमुद्दा (Harmudda) को बताया कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में आरक्षित वर्गों की जनसंख्या तथा उसके आधार पर कर्मचारियों की जानकारी साझा की है। इससे स्पष्ट हो गया है कि आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों की संख्या उनके जनसंख्या के अनुपात से अधिक है तथा पिछड़ा व अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों पर वित्त विभाग ने अनावश्यकरूप से 5 प्रतिशत की सीलिंग लगा रखी है। मुद्दे की बात तो यह है कि इससे सामान्य व अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों के पदों को शासन के विभिन्न विभागों में होने वाली भर्तियों में विज्ञापित नहीं किया जा रहा है, जबकि बैकलॉग के पदों की निरंतर भर्तियां की जा रही है।

किसी वर्ग का विरोध नहीं करता संगठन

श्री पुरोहित ने बताया कि हम तथा हमारा संगठन किसी भी वर्ग का विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन सामान्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियेां के अधिकारों पर शासन द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण का विरोध है। शासन के सभी विभागों में लगभग डेढ़ लाख पद रिक्त है, इनकी पूर्तियों की प्रक्रिया तथा नीति बना कर विभागीय पदोन्नति की प्रक्रिया को भी पूर्ण किया जाए।

प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाना जरूरी

श्री पुरोहित ने प्रदेश में कर्मचारियों के पदों का विश्लेषण करते हुए बताया कि प्रदेश मे कुल 3 लाख 19 हजार 444 पद है। इनमें 51.94 प्रतिशत पदों पर आरक्षित वर्ग के कर्मचारी कार्यरत है। लगभग 39 प्रतिशत पदों पर अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। सामान्य तथा ओबीसी वर्ग के 47 प्रतिशत कर्मचारी ही पदस्थ है। इसको लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाना आवश्यक है तथा सामान्य पिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिए सभी को आगे आकर शासन पर दबाव बनाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।

भेदभावपूर्ण नीति का विरोध करने के लिए आगे आए प्रतियोगी

श्री पुरोहित ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे सामान्य तथा पिछड़ावर्ग के प्रतिभागियों से आह्वान किया है कि अपनी तैयारी के साथ शासन के इस भेदभावपूर्ण नीति का विरोध करने के लिए आगे आए तथा शासन को आरक्षित वर्गों के साथ ही अनारक्षित वर्ग के पदों की पूर्ति के लिए भी प्रयास करें।

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