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रविवार को हुई आफत की तेज बारिश, ओले गिरे, किसानों को भारी नुकसान

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 किसान कर्ज की चिंता में, शासन प्रशासन ने नहीं ली सुध

 मानसून की झमाझम विदाई ने किसानों की चिंता बढ़ाई

हरमुद्दा
पिपलौदा, 10 अक्टूबर। तहसील के ग्राम रियावन क्षेत्र मे दोपहर तीन बजे तेज बारिश  के साथ ओले गिरने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। पहले जहाँ सोयाबीन मे अफलन की स्थिति उत्तपन्न हुई और अब सोयाबीन के कटाई का समय आया तो लगातार बारिश का दौर चल रहा। रविवार को हुई आफत की बारिश सोयाबीन का भाव सभी खराब हो गया है। मानसून की झमाझम विदाई में किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसान कर्ज की चिंता में हैं।

हथेली में ओले दिखाते हुए

ग्राम स्टेशनरी व्यवसायी विजय विश्वकर्मा अपने हाथों में मक्का एवं ज्वार के साईज के ओले अपने हाथों मे लेकर हरमुद्दा Harmudda को बताया कि अचानक दोपहर मे तेज बारिश प्रारंभ हुई जो अभी भी चालु है, कुछ देर के लिए ओले भी बरसे हैं।  इस बार प्रक्रृति की मार से किसान खासे परेशान हुए हैं, पहले जहाँ सोयाबीन मे अफलन की स्थिति उत्तपन्न हुई और अब सोयाबीन के कटाई का समय आया तो लगातार बारिश का दौर चल गया है। इससे किसानो को मजदूरी से लेकर मशीनो का किराया तक सब महंगा हो गया। इस बार मजदूरी के 400 से लेकर 500 रुपए देना पड़ा तो मशीनों के रेट 1500 रुपए प्रति घंटा देना पड़ रही है।

कम उत्पादन लागत बढ़ी

किसान प्रभूलाल ढोढरिया, महेश परमार, मनोहरसिह सिसौदिया, रूघनाथ प्रजापत, भैरूलाल धनगर, बंकटदास बैरागी ने बताया कि इसबार सोयाबीन का उत्पादन भी कम हुआ और लागत बढ़ गई है। लगातार बारीश के कारण  सोयाबीन को मशीन मे निकालने के घंटे भी अधिक हुए। सोयाबीन की फसल खराब होने से भाव भी कम मिलना तय है।

सोयाबीन का भूसा तक हो गया खराब

रविवार को हुई आफत की बारिश से सोयाबीन का भूसा भी खराब हो गया। जानवरों (मवेशियों) को खिलाने के लिए भी इसबार खासी परेशानी उठानी पड़ सकती है।

शासन प्रशासन ने नहीं ली सुध

किसानो की फसले खराब हुई पर शासन प्रशासन ने अभी तक किसानो की सुध नहीं ली है। किसानो ने कई बार मुआवजे व बीमा क्लेम की मांग की पर आज तक किसानो की सुनवाई नही हुई है।  शासन को किसानो के नुकसान की भरपाई के लिए बीमा क्लेम  स्वीकृत करना चाहिए।

कर्ज की चिंता में किसान

ग्राम के किसान शैतानमल नाहर, लक्ष्मण कावरिया,  मांगीलाल पटेल, जयनारायण वाक्तरिया का कहना है कि अधिक लागत  और उत्तपादन कम होने से किसानो मे खासी चिंता है, क्योंकि महंगे भाव का बीज  उधार लेकर दो बार तक बुवाई की थी। अभी पुराना कर्जा भी अदा नही होगा और रबी की बुवाई मे फिर खाद बीज व हवाई जुताई के लिए सहुकारो से कर्ज लेना पड़ सकता है।

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