विजयादशमी पर्व : जोश, जुनून और उत्साह से बाल सेवक हुए संचलन में शामिल
1 min read आन, बान और शान के साथ निकले संघ के पथ संचलन
हरमुद्दा
रतलाम, 15 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी पर्व निकले पथ संचलन में जोश, जुनून और उत्साह के साथ बाल सेवक शामिल हुए, सीना तान के जब बाल सेवक सड़कों पर निकले तो उनमें अलग ही गौरव की अनुभूति झलक रही थी। वहीं युवकों के आन, बान और शान के साथ पथ संचलन निकले। इस दौरान कोविड-19 का पालन किया गया।
संघ के नगर प्रचार प्रमुख पंकज भाटी ने हरमुद्दा Harmudda बताया कि कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए बस्तियों के पथ संचलन निकाले जा रहे हैं इसी श्रंखला में विजयादशमी के दिन रतलाम नगर की 5 बस्तियों में व्यावसायिक स्वयंसेवकों का पथ संचलन एवं प्रताप भाग का बाल पथ संचलन निकाला गया।
चांदनी चौक एवं कसारा बाजार बस्ती के पथ संचलन में संघ के जिला संघचालक सुरेंद्र सुरेका एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य गोरेलाल की गौरवमयी उपस्थिति रही।
इन बस्तियों से निकले पथ संचलन
इसी के साथ ही अन्य बस्तियों में धीरजशाह बस्ती, जवाहर बस्ती, अंबेडकर एवं राजीव बस्ती, लक्ष्मणपुरा बस्ती, सहित प्रताप भाग की बाल शाखाओं का संचालन भी निकाला गया जिसमें संघ के अन्य अधिकारियों ने अपना उद्बोधन दिया। संघ के पथ संचलन में सभी स्वयंसेवक कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए मुंह पर मास्क लगाकर निकले। सभी पथ संचलन का अनेक स्थानों पर समाजजनों ने पुष्पवर्षा एवं उद्घोष से स्वागत अभिनंदन किया।
नगर के वृहद पथ संचलन की कोई योजना नहीं
श्री भाटी ने बताया कि कोविड-19 नवाचार को दृष्टिगत रखते हुए संघ ने इस बार प्रत्येक 41 बस्ती के पथ संचलन निकालने का निर्णय किया है। भाग या नगर के वृहद पथ संचलन की कोई योजना नहीं है। आगामी दिनों में अन्य बस्तियों के संचलन भी निकाले जाएंगे। जिसमे बस्तियों के सभी स्वयंसेवक भाग लेंगे।
हर व्यक्ति विशेष को समाज में सुधार, सहायता व दया का भाव रखना होगा
श्री गोरेलाल जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदू समाज के संगठित करके देश की समस्याओं को समाधान करने के लिए 1925 में डॉक्टर केशव बलीराम हेडगेवार जी ने नागपुर में मोहिते के बाड़े से संघ की शाखा लगाकर संघ प्रारंभ किया। हमारी जीवनशैली में परिवर्तन व समाज में व्याप्त समस्या जैसे गरीब को भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान कैसे हो यही कार्य संघ की एक घंटे की शाखा में सीखने को मिलता है। हम सर्वव्यापी कैसे हो इसके लिए हमें सेवाभावी, विवेकवान होकर समरसता का व्यवहार रखना पड़ेगा। हर व्यक्ति विशेष को समाज में सुधार, सहायता व दया का भाव रखना होगा। समाज में हमें भिक्षुक नहीं बनना है, देश हमें देता है तो उसके प्रति हमें कुछ अर्पण करने का भाव रखना पड़ेगा। आज हमारे देश ने योग और आयुर्वेद से जो ख्याति प्राप्त की है वह अविस्मरणीय है। प्रकृति के प्रति हमने जो भाव रखे हैं उसी की सिद्धि के रूप में प्रकृति ने हमें उस दिया और प्राणदान शुद्ध वायु प्रदान की है।