मंगल प्रवेश: व्यक्ति खाए बिना रह सकता है,लेकिन बोले बिना नहीं-तप केसरी राजेशमुनि
हरमुद्दा
रतलाम,25 अप्रैल। अपनी बात किसी को कहना हो, तो पहले सामने वाले की प्रशंसा करो, फिर देखो अपना अधिकार उसमें कितना है। सामने वाला पात्र है अथवा अपात्र है। यदि वह पात्र हो, तो ही उसे आदेश दे, अन्यथा अपात्र को आदेश देने पर कार्य बिगड़ेगा और स्वयं पर भी गुस्सा आएगा। संसार में व्यक्ति खाए बिना रह सकता है, लेकिन बोले बिना नहीं रह सकता। यदि कोई व्यक्ति सबकुछ जानकर व सुनकर आवश्यकता अनुसार बोलता है, तो उसकी जय-जयकार होती है।
यह बात मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा., आचार्य प्रवर श्री उमेशमुनिजी म.सा. के कृपापात्र एवं घोर तपस्वी पूज्य श्री कानमुनिजी म.सा. के सुशिष्य अभिग्रह धारी, तप केसरी श्री राजेशमुनिजी म.सा. ने कही। वे नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
किया मंगल प्रवेश
गुरुवार सुबह सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा. के साथ नजरबाग कालोनी स्थित अमृतलाल, विनोद कुमार मूणत के निवास से विहार कर शहर में मंगल प्रवेश किया। नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए मुनिद्वय नोलाईपुरा स्थानक पहुंचे।
सोच समझकर बोलें
यहां धर्मसभा में श्री राजेशमुनिजी ने कहा कि व्यक्ति जितनी बदनामी स्वयं ही स्वयं की करता है, उतनी दूसरे नहीं करते। अपनी जांघ का तिल किसी को पता नहीं होता, व्यक्ति खुद ही बताएगा, तो दूसरो को पता चलेगा। किसी दूसरे को आज फुर्सत ही नहीं है कि आपके घर में क्या हो रहा है, इसलिए सोच-समझकर बोले। आपका बोल कई काम करता है।
स्व निर्णय लेने वाला व्यक्ति ही सफल
उन्होंने कहा कि जीवन में स्व निर्णय लेने वाला व्यक्ति ही सफल होता है। इसलिए सुनना सभी की और निर्णय खुद का करना चाहिए। वर्तमान में युद्ध अस्त्र-शस्त्र के बजाए जुबान से चल रहे है। देश में विकास पर कोई नहीं बोल रहा है। राजनीती मात्र व्यक्तियों पर निर्भर हो गई है। उदाहरण के लिए देश का सबसे बड़ा चुनाव हो रहा है, लेकिन इसमें भी मोदी, राहुल की और राहुल, मोदी की बात कर रहे है। देश के बारे में कोई चर्चा नहीं कर रहा है।
वचनों से ही होती है रामायण और महाभारत
श्री राजेंद्र मुनिजी ने सोच-समझकर वचनों का उपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जुबान में हड्डी नहीं होती। वह तीन इंच की होती है, पर एक शब्द से 6 फीट के आदमी को हिलाकर रख देती है। तिजोरी में दो-चार ताले होते है, जबकि जुबान के तो 32 ताले है। यह सोने-चांदी और नकदी आदि से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मंथरा से शब्द और कैकेयी के कान से रामायण बन गई और द्रोपदी के शब्द और दुर्योधन के कान से महाभारत हो गई। वचनों से ही रामायण और महाभारत होती है। इसलिए इनके उपयोग में सावधानी अति आवश्यक है।
धर्मसभा का संचालन संदीप चौरडिया ने किया।
28 को मनाएंगे पुण्यतिथि
इस दौरान कई संघों के सदस्यगण मौजूद थे। श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल के निलेश मेहता एवं राजेश बोरदिया ने बताया कि नौलाईपुरा स्थानक पर प्रतिदिन सुबह 9 बजे मुनिश्री के प्रवचन होंगे। 28 अप्रैल को श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल ट्रस्ट बोर्ड, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल एवं नवकार ग्रुप के तत्वावधान में सागौद रोड स्थित श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा.की मासिक पुण्यतिथि मनाई जाएगी।