वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे पद्मश्री सुब्बाराव का अंतिम संस्कार मुरैना के गांधी सेवा आश्रम में आज शाम को -

पद्मश्री सुब्बाराव का अंतिम संस्कार मुरैना के गांधी सेवा आश्रम में आज शाम को

1 min read

🔲 डॉ. सुब्बाराव की कर्मस्थली चंबल घाटी में शोक की लहर

हरमुद्दा
गुरुवार, 28 अक्टूबर। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में प्रख्यात गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा। दिवंगत डाॅ सुब्बाराव का पार्थिव शरीर जयपुर से सड़क मार्ग द्वारा यहां लाया गया। गुरुवार सुबह से शाम चार बजे तक आश्रम में उनके पार्थिक देह को अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा और उनका अंतिम संस्कार शाम को गांधी सेवा आश्रम परिसर में किया जाएगा।

प्रख्यात समाजसेवी डॉ. एसएन सुब्बाराव

उनके निधन की खबर सुनते ही उनकी कर्मस्थली चंबल घाटी में शोक की लहर फैल गई। उनके अंतिम दर्शनों के लिये आज सुबह से ही आश्रम में भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। डॉ. सुब्बाराव को देश और दुनियां भले ही गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव के रूप में जानती है, लेकिन चंबल अंचल में वह भाई जी के नाम से जाने जाते हैं।

चंबल के विकास के लिए किया जो श्रम किया वह वंदनीय

युवावस्था में अपने जीवन की तमाम महत्वाकांक्षाओं को भूलकर उन्होंने चंबल के विकास के लिए जो श्रम किया है वह सचमुच वंदनीय है। खासकर 70 के दशक में अशांत चंबल में शांति स्थापना के लिए वह और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए बागी समर्पण और उसके बाद अंचल के विकास के लिये लोगों में श्रम संस्कारों के रोपण के लिए चंबल का कण-कण भाई जी का ऋणी है।

चंबल में नए दौर की तरफ एक नई करवट ली

अदभुत व्यक्तित्व के धनी एवं समाज के लिए हमेशा कुछ न कुछ करने की लगन के कारण भाई जी को एक संत माना जाता है। डॉ. राव ने हिंसा को ही अपना धर्म मानने वाले बागियों को गांधीवाद के मंत्र से दीक्षित किया। इससे चंबल में नए दौर की तरफ एक नई करवट ली।

अंचल की बदल दी तकदीर

चंबल के हिंसक को बदलने के लिए सन् 1972 में डॉ सुब्बाराव के लिखी गई सामूहिक 672 बागी समर्पण की कहानी ने अंचल की तकदीर बदल दी। उन्होंने मुरैना जिले के एक छोटे से कस्बे को देश ही नहीं विश्व क्षितिज पर पहचान दिलाई। बीहड़ों में डेरा डाले हिंसक बागियों के सामूहिक हृदय परिवर्तन को सुब्बाराव ने जिस सफलतापूर्वक संपन्न कराया यह सचमुच अविश्वसनीय प्रतीत होता है। वास्तव में ‘भाई जी’ की जन्म स्थल दक्षिण का कर्नाटक राज्य है। उन्होंने अपना भरापूरा परिवार, जीवन की महत्वाकांक्षाएं सब कुछ छोड़ दिया। वे हमेशा चंबल के होकर रह गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *