अंतरराष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर विशेष : मानव सेवा समिति को आपदा से नए मिले रक्तदाता
🔲 मरीज को अनेक बीमारियों से बचाने में रामबाण औषधि से बढ़कर होता काम
गोविंद काकानी
रतलाम, 24 नवंबर। बुधवार 24 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस है। स्वैच्छिक रक्तदान मरीज को अनेक बीमारियों से बचाने में रामबाण औषधि से बढ़कर काम करता है। स्वैच्छिक रक्तदाताओं की लगातार कमी वर्षों से देश में बनी रही है। स्वैच्छिक रक्तदाता के अभाव में अनेक बार मरीज के परिजन चंद रुपए देकर पेशेवर रक्तदाताओं से रक्त लेकर मरीज को दिलवाने का कार्य करते हैं, जो कि उसके लिए बहुत ही घातक होता है। परिवार के सदस्य का डर ,मित्रों का अभाव, समाज से दूरियां, रक्त मरीज को उपलब्ध कराने में बड़ी समस्या का रूप ले लेती है’।
विगत 2 वर्षों में कोरोना, डेंगू जैसी अनेक बीमारियों से देश में रक्त की आवश्यकता बहुत अधिक हो गई। ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदाताओं की कमी को पूरा करने के लिए परिवार जन के ऊपर दबाव कहे या मजबूरीवश उन्हें रक्तदान करना पड़ा। जोकि भविष्य के लिए अनेक नए रक्तदाता प्रदान करेगा। कोरोना महामारी के बाद डेंगू ने प्लेटलेट की मरीजों में बहुत अधिक कमी कर दी और उसके कारण पूरे देश में एफरेसिस मशीन द्वारा सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की प्रक्रिया संभव नहीं हो पाई क्योंकि उसके लिए कंपोनेंट ब्लड बैंक का लाइसेंस होना, मशीन और उपकरण होना, कई जगह तो वह भी होने के बाद ट्रेंड टैक्नीशियन की कमी, 24 घंटे मिलना सहित अनेक समस्याएं होने के बाद भी ईश्वर की कृपा से मौजूदा ब्लड बैंक द्वारा 24 घंटे प्लेटलेट बना कर अनेक मरीजों की जान बचाने में सराहनीय कार्य किया।
सराहनीय कार्य में रक्त दाताओं का महत्वपूर्ण योगदान
इस सराहनीय कार्य में महत्वपूर्ण योगदान रक्तदाताओं का रहा क्योंकि वे रक्त नहीं देते तो यह कार्य संभव नहीं हो पाता। यह पुनीत कार्य करने में अनेक संस्थाओं मे से एक मानव सेवा समिति रक्त केंद्र रतलाम द्वारा आसपास के 7-8 जिले सहित राजस्थान एवं गुजरात तक अपनी सेवाएं प्रदान की। संस्थापक ज्ञानमल सिंगावत ,अध्यक्ष मोहनलाल पाटीदार (मुरली वाला), समस्त पदाधिकारी, डॉक्टर, टेक्नीशियन टीम, रक्तदाता द्वारा गंभीर महामारी की इस दौर में पूरे प्रदेश में अपनी सेवाओं से रतलाम का नाम रोशन किया।
समिति सदस्यों ने की रक्तदान से शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के उपलक्ष में मानव सेवा समिति के टेक्नीशियन बहन रुकमणी यादव सेवक बद्रीलाल भाबर, नामली से कमलेश सुरेंद्र सोलंकी, जावरा से इमरान नहारू खान, खाचरोद से आनंदीलाल धाकड़ व दिनेश मदनलाल धाकड़, प्रीतम नगर से धर्मेंद्र जगदीश पांचाल आदि रक्त दाताओं ने रक्तदान कर शुरुआत कर दी। इसी प्रकार मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड बिलपांक, रतलाम के मित्र मंडल द्वारा भी 25 सदस्यों का रक्तदान स्वीकृति पत्र प्राप्त हो चुका है।
इतना यूनिट हुआ हर साल रक्तदान
वर्ष 2015 में 5877 , 2016 में 5844, 2017 में 5733, 2018 में7060, 2019 मैं 7533, 2020 मै 7146 (इस वर्ष लॉकडाउन व कोरोना के कारण ऑपरेशन नहीं हो रहे थे)
2021 में 10446, यूनिट रक्तदान 23 नवंबर तक मानव सेवा समिति में किया गया। जो कि लगातार रक्त की बढ़ती हुई आवश्यकता को दर्शाता है।आने वाले समय में रतलाम मेडिकल कॉलेज के कारण चिकित्सा क्षेत्र में रतलाम में बड़ी क्रांति नजर आएगी। उस समय और अधिक रक्त एवं रक्त के अवयव की आवश्यकता होगी। तब तक रतलाम में भी जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक में कंपोनेंट का लाइसेंस मिल जाएगा एवं रक्त के अवयव बनना शुरू हो जाएंगे। जिससे अनेक समस्याओं का निदान होगा एवं मरीज को उसकी आवश्यकता अनुसार रक्त एवं रक्त के अवयव मिलने में सुविधाएं उपलब्ध हो जाएगी।
मानव सेवा समिति के अनुकरणीय सेवादार
मानव सेवा समिति परिवार के नजीर भाई शेरानी, जिंनदास लुनिया, सुरेश अग्रवाल, विवेक बक्शी, अनिल पीपाड़ा, सुरेंद्र सुरेका, गोपाल कृष्ण सोडाणी, राजकुमार सुराणा, राजेश सोमानी, प्रकाश नलवाया, एडवोकेट एसएन जोशी, हेमंत मेहता, सुनील सुराणा, निर्मल कटारिया, कांतिलाल वशिष्ठ, विनय पितलिया, महावीर जैन, गुमानमल नाहर, नूरुद्दीन घासवाला सहित सभी पदाधिकारी एवं साथियों ने रक्तदाताओं, दानदाताओं का पुनीत कार्य में सहयोग अनुकरणीय है।