वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे व्यंग्य : श्वान हमारे अभिमान -

व्यंग्य : श्वान हमारे अभिमान

1 min read

 आशीष दशोत्तर

हर प्रयास में निम्नतम स्तर पर आ रहे शहर को जब यह ख़बर मिली की ‘डाग बाइटिंग’ में उसका स्थान सूबे में अव्वल है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कहीं तो शहर का नाम प्रथम पंक्ति में आया। शहर की खुशी उस वक्त और अधिक बढ़ गई जब उसने देखा कि श्वान प्रेमी समुदाय इस गौरवशाली क्षण को समारोहपूर्वक मनाने के लिए तैयारी कर रहा है। शहर भी तैयारियों के सिलसिले में आयोजित चर्चा में शामिल हुआ।

श्वान संरक्षिका समूह की संगठिका इठलाती हुई बोली,  यह हमारी सामूहिक कोशिशों का परिणाम है।  हमने आवारा कुत्तों को कभी आवारा महसूस नहीं होने दिया। उनकी आवारगी पर हम प्रसन्न होते रहे। वे लोगों को काटते रहे। लोग उन्हें डांटते रहे, मगर हम उन्हें प्यार से पुचकारते रहे। रोज उनकी देखभाल की, तब कहीं जाकर यह उपलब्धि हासिल हुई है।

पालतू कुत्तों को रोज़ाना पट्टा बांधकर घुमाने वाले कुत्ता मालिकों को टेढ़ी नज़र से देखने वाले श्वान संरक्षक कह रहे थे,  ये हमारे कुत्ते, जिन्हें आवारा कहा जाता है, ये तो इस शोषित और दलित समाज के प्रतीक हैं। उन्हें क्या ख़बर जो अपने घरों में कुत्तों को सोफे पर बैठाते हैं और उन्हें सुबह-शाम निवृत्त कराने के लिए कॉलोनी के खुले प्लाटों पर लिए घूमते हैं। हमारा यह कुत्ता धूप- छांव, सर्दी, गर्मी, बरसात सभी का डटकर सामना करता है। अपने पेट के लिए खुद इंतज़ाम करता है। सब दूर से भगाया जाता है फिर भी हिम्मत नहीं हारता। आने -जाने वाले पर भौंकता है। ज़रूरत पड़े तो काटता भी है। ऐसा कर वह कुछ बुरा नहीं करता। काटना उसका स्वभाव है लेकिन मनुष्य में इसका कहां अभाव है?

इनके सुर में सुर मिलाते हुए एक और श्वान प्रेमी बोले,  मनुष्य तो सलीके से काटना भी नहीं जान पाया। कम से कम इन कुत्तों ने काटना तो ठीक तरह सीखा। मनुष्य इतनी बेरहमी और ख़ामोशी से काटता है कि उसका काटा पानी भी नहीं मांगता। वह हर किसी की काटता है और ज़माने में अपना ज्ञान बांटता है । मगर यह कुत्ता काट रहा है तो सिर्फ काट रहा है, वह भी भौंकने के बाद।

श्वान प्रिया कहने लगीं,  हमारे इ्न श्वानों के कारण आज शहर को जो सम्मान मिल रहा है , वह हम सभी के लिए गौरव की बात है । शहर के मनुष्य तर्क-कुतर्क, दावा-दलाली, खरीदी-बेची, मुनाफाखोरी के अलावा कुछ नहीं कर पाए । हमारे कुत्तों ने कमाल कर दिया । अब देखते हैं इनके ख़िलाफ़ कौन अपनी नज़र टेढ़ी करता है।

श्वान प्रेमी बोले, ऐसे काम नहीं चलेगा। हमें इन कुत्तों के सम्मान में एक समारोह का आयोजन करना होगा । जिन -जिन कुत्तों ने अब तक मनुष्य को काटा है , उनकी मोहल्लेवार सूची बनाना होगी। उन्हें हर मोहल्ले में समारोह आयोजित कर सम्मानित करना होगा। इससे कुत्तों के आत्मविश्वास में वृद्धि होगी । वे बेख़ौफ़ होकर भौंक सकेंगे और लोगों को काट सकेंगे।  गली के कुत्तों पर अपनी नज़रें टेढ़ी करने वाले लोगों को सबक भी मिलेगा और वे हतोत्साहित भी होंगे।

यह कहते हुए वे सब अभिनंदन के लिए ‘श्वान दंतोलब्धि समारोह’ में की तैयारियों में जुट गए। शहर इनकी चर्चा से अभिभूत था।  वह अब तक सोचा करता था कि क्या श्वान का भी अभिनंदन होता है? अब उसे समझ में आ रहा था कि श्वान का ही अभिनंदन होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *