कोरोना की तीसरी लहर और तैयारी : जेकपाँट फतेह नहीं होती लंगड़े घोड़ों से, जान गए अब बड़े जिम्मेदार भी
मुखिया ने पूछ ही लिया सेहत के जिम्मेदार से अब तो नहीं बिगड़ेगी तबीयत ?
चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों की भावना टटोलने का प्रयास
अनिल पांचाल
रतलाम, 3 जनवरी। कोरोना के नए वेरियंट के साथ तीसरी लहर का खतरा तेजी से बढऩे लगा है। इस मामले में प्रशासन के चेहरे पर भी चिंता की सिलवटे है और कयास लगाए जा रहे है कि आगामी 10 दिनों में शहर सहित जिले के अलग-अलग इलाकों में कई संक्रमित बाहर आ जाएंगे। कोरोना की इसी तीसरी लहर की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी उन कुछ लोगों को भी दी गई है जिन्होने कोरोना की तीसरी लहर में पूरे सिस्टम को बदनाम कर दिया था।
सोमवार को हुई टीएल की बैठक में जिला प्रशासन के मुखिया को भी अहसास हुआ कि दूसरी लहर में नाकाम रहे जिम्मेदार कही तीसरी लहर में भी कोई फाल्ट नहीं कर बैठे। इसलिए उन्होने चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों की भावना टटोलने का प्रयास किया।
बूस्टर डोज लगवा लूंगा
बैठक में कलेक्टर ने सीएमएचओ से पूछा गया कि डाँक्टर साहब दूसरी लहर की तरह इस बार की तीसरी लहर में भी तो आप बीमार नही हो जाओगें? इस पर सीएमएचओ ने कहां कि नहीं सर.. । इस बार प्रयास रहेगा कि स्वस्थ रहूं। इसके लिए कुछ दिन बाद बुस्टर का एक डोज भी लगवा लूंगा।
ढिलाई और लापरवाही माफी लायक नहीं
इसी तरह कोरोना रोकथाम की व्यवस्था से जुड़े एक वरिष्ठ चिकित्सक से पूछा गया कि जिला प्रशासन के निर्देश व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज गए थे आप ने पढ़े की नहीं। इस पर डॉक्टर बोले कि सर मैने आदेश नहीं पढ़े है। जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर ने कहा कि हमें पता है कि आप किसी आदेश- निर्देश पर ध्यान ही नहीं देते हो। मुखिया ने डॉक्टर साहब को अपने पास बुलाया। आदेश बताया और निर्देश दिए कि कोरोना की दूसरी लहर की तरह इस तरह की ढिलाई और लापरवाही माफी लायक नहीं होगी। ये साहब आज पूरी तरह से एलियन के ड्रेस कोड में नजर आए। ये इस ड्रेस का उपयोग सिर्फ बैठकों में ही करते है, ताकि वरिष्ठ अधिकारियों को लगे कि डाँक्टर साहब खुद को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने का प्रयास कर रहे है। अपने कार्य के प्रति समर्पित है।
वेल मैकेनाइज्ड व्यवस्था
बैठक में बताया कि कोरोना की तीसरी लहर की स्थिति में इस बार जिले में वेल मैकेनाइज्ड व्यवस्था रहेगी। लोगों को पता होगा कि कहां बेड खाली है। सार्थक पोर्टल पर रियल टाइम डाटा अपलोड किया जाएगा। कोरोना पर हुई इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य ये था कि दूसरी लहर में की गई लापरवाही, अनदेखी और तरह- तरह के फाल्ट तीसरी लहर के दौरान नहीं हो। यहां बताया गया कि सरकार ने हमे समय और साधन सहित अन्य सुविधाएं भी भरपूर दी है। ऐसे में प्रयास यह हो कि कोरोना से संक्रमित कोई भी व्यक्ति परेशान नहीं हो और शासन-प्रशासन पर किसी तरह की लापरवाही के आरोप भी नहीं लगे। पुराने कलेक्टर कार्यालय में चल रहे कन्ट्रोल रूम को भी अत्याधुनिक किया जा रहा है और इसकी जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा को दी जाना बताई गई है।
पुराना ढर्रा दोहराने पर आमादा हैं वे
शासन प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद दूसरी लहर में लापरवाही और अनदेखी करने वालों को जब दौबारा जिम्मेदारी मिली तो वे इस मर्तबा भी पुराना ढर्रा दोहराने पर आमादा है। उन्हे सिर्फ अपनी झांकी बाजी से मतलब है। दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में भर्ती होकर थोड़े ठीक हो चुके रोगियों के फोटो खिचना, वीडिय़ो बनाना और वरिष्ठ अधिकारियों को व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज देने जैसी नौटंकी के चलते लाशों के ढेर लग चुके थे। अधिकारी भी अपने मोबाईल पर फोटो-वीडिय़ो आते है। कमेन्ट कर देता कि वेरी नाईस, वेरी गुड़। उधर नौटंकीबाज भी खुश और इधर साहब भी खुश और इन दोनों की जुगलबंदी के चलते रोगियों की परेशानियों को किसी ने जाना ही नहीं और रायता ऐसा फैला कि सुबह से लेकर रात तक हर श्मशान में हाऊस फूल की तख्ती लगी थी। लोगों को लाशे भी ब्लैक में जलवाना पड़ी थी।
इसलिए अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ती ही जा रही सुधरने की बजाय
उधर कोरोना की तीसरी लहर में हर किसी के सिर पर मौत का साया बन कर मंडरा रही है और इधर सामरी की हवेली में प्रशासकीय अधिकारी की तैनाती को लेकर विरोध हो रहा है। किसी की जिन्दगी से जुड़ी संस्था पर प्रशासकीय अफसर होना जरूरी है। जिला अस्पताल की व्यवस्था तीन दशक से आज तक सिर्फ इसीलिए धराशायी है क्यूंकि यहां प्रशासकीय अफसर की तैनाती ही नहीं होने दी गई। अस्पताल का मुखिया पूरे दिन में अस्पताल आए तीन रोगियों की नब्ज देखता है और 300 की नब्ज 300 रुपए वसूल कर देखता है। ऐसे में अस्पताल की व्यवस्था सुधरने की बजाय बिगड़ती ही जा रही है। उधर सामरी की हवेली के भी ये हाल है। ज्यादातर निजी अस्पतालों या मेडिकल स्टोर्स की शोभा बढ़ा रहे है। ऐसे में तीसरी लहर भी दूसरी की ही तरह बिगडऩे वाली है, ऐसे कयास लगाए जा रहे है। स्थानीय प्रशासन कुछ कर नहीं सकता है, क्यूंकि यहां के जिम्मेदार सीधे संभाग के अफसर का रिचार्ज कराते है।
अंत में
बहरहाल… लंगड़े घोड़ों से जेकपाँट फतेह नहीं की जा सकती है, ये बात अब बड़े जिम्मेदार भी जान गए है। ढीले, लापरवाह और जनता से पहले खुद को संक्रमित करने वालों के भरोसे जिले के लगभग 15 लाख लोगों की जान है। आगे क्या होगा ? ये ऊपर वाला जाने!