उपलब्धि : 4 घंटे में न्यूरो सर्जरी से नया कीर्तिमान, जज्बे और हौसलों ने कर दिया मुश्किल काम आसान
🔲 दुर्घटना में सिर की हड्डी घुसी दिमाग में
🔲 9 दिन तक रखा कड़े ऑब्जरवेशन में
हरमुद्दा
रतलाम, 7 जनवरी। रतलाम के चिकित्सकों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जज्बा और हौसला हो तो जटिल से जटिल कार्य को भी आसान किया जा सकता है। 4 घण्टे तक चली न्यूरो सर्जरी का कीर्तिमान रच दिया। चिकित्सकों ने दिमाग में धंसी हड्डी को निकालने में कामयाबी का शिकार छू लिया। रतलाम के चिकित्सा इतिहास में पहली न्यूरो सर्जरी डॉ. मिलेश नागर ने जी. डी. हॉस्पिटल में की।
जी. डी. अस्पताल के संचालक डॉ. लेखराज पाटीदार ने हरमुद्दा को बताया कि- 25 दिसंबर को मुलथान गांव के पाटीदार मोहल्ला निवासी महेंद्र पाँचाल सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो गए थे। उन्हें बदनावर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहाँ प्राथमिक उपचार के बाद महेंद्र को गंभीर अवस्था में रतलाम रैफर कर दिया गया था।
परिजन लेकर आए जीडी हॉस्पिटल
परिजन उन्हें जी. डी. अस्पताल लेकर आए। यहाँ डॉ. लेखराज पाटीदर ने शहर के पहले न्यूरो सर्जन गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. मिलेश नागर से संपर्क किया। डॉ. नागर अस्पताल पहुँचे एवं मरीज का परीक्षण कर न्यूरो सर्जरी की आवश्यकता बताई।
1 घंटे में ही शुरू हो गई सर्जरी, 4 घंटे चली रतलाम की पहली न्यूरो सर्जरी
परिजन की सहमति के बाद अस्पताल के डॉक्टरों की टीम के साथ तुरंत न्यूरो सर्जरी की तैयारी शुरू कर दी। मरीज की हालत बेहद नाजुक होने से महज एक घंटे के भीतर ही सर्जरी शुरू हो गई। सर्जरी लगभग 4 घंटे चली। डॉ. मिलेश एवं अस्पताल की टीम ने मरीज के दिमाग में फंसे हड्डी के टुकड़ों को बाहर निकला। खून के थक्के भी साफ किए। सफल सर्जरी के बाद मरीज को ऑब्जर्वेशन में रखा गया। 9 दिन तक कड़े ऑब्जरवेशन में रहने के बाद महेंद्र को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया।
परीक्षण में पूर्ण रूप से स्वस्थ, किया डिस्चार्ज
6 जनवरी को स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। पूरी तरह स्वस्थ पाए जाने पर उन्हें डिस्चार्ज किया गया। घर रवाना होने से पहले मरीज और परिजन ने जी. डी. अस्पताल प्रशासन एवं डॉक्टरों के प्रति आभार ज्ञापित किया।
बड़ी सर्जरी के खुले रास्ते
रतलाम ने चिकित्सा के इतिहास में यह बड़ी सफलता है। रतलाम में पहली सफल न्यूरो सर्जरी होने से अब यहां चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी सर्जरी के रास्ते खुल गए हैं। अब तक न्यूरो सर्जरी के लिए मरीजों को बड़े शहरों में जाना पड़ता था।