हृदय साम्राज्ञी हमेशा नंगे पैर ही गाती थी, जो सम्मान मिले, वह सम्मान का सम्मान था जिन्हें उनके हाथों का स्पर्श मिला और हो गए धन्य
सरस्वती की जयंती के 1 दिन पश्चात स्वर साधिका की अंतिम विदाई,
हरमुद्दा
मात्र 13 वर्ष की उम्र से गायन का क्षेत्र में पदार्पण करने वाले लता मंगेशकर हमेशा नंगे पैर ही गाना गाती थी। सरस्वती के जन्मदिन के 1 दिन पश्चात अलविदा कहने वाली भारत रत्न स्वर कोकिला हृदय साम्राज्ञी लता मंगेशकर को कई पुरस्कारों से नवाजा गया लेकिन सही मायनों में तो वह पुरस्कार का ही सम्मान था कि वे उनके हाथों का स्पर्श पाकर धन्य हो गए।
मध्यम परिवार में जन्म
लता का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिए चुना।
जन्म मध्य प्रदेश में परवरिश महाराष्ट्र में
हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म किती हसाल के लिए गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिए गाए इसलिए इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुए।
पैसों की किल्लत के कारण करना पड़ा फिल्म में काम, पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942)
पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिए उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिए गाने भी गाए और आशा के लिए पार्श्वगायन किया।
जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर
वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया। इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी। भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था। दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी। जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी। ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था। लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म किती हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया।
तो भी खास हिट की थी तलाश
1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिए लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गए जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिए पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।
शुभ साबित हुई म कौन हल
1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म “महल” के “आएगा आने वाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिए बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विविध
पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।
उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।
लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था।
लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।
लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।
लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है। वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं।
पुरस्कार
फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)
1969 – पद्म भूषण
1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार
1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
1999 – पद्म विभूषण
1999 – ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
2001 – महाराष्ट्र भूषण