संस्कृति सरोकार : बच्चों से लेकर बड़े तक सभी अपने अपने माता पिता का पूजन-परिक्रमा कर यशस्वी जीवन का ले रहे आशीर्वाद
शहर से लेकर गाँवों तक माता पिता पूजन उत्सव की धूम
13 फरवरी को श्री कालिका माता में होगा भव्य समारंभ
विभिन्न कालोनियों व गाँवो में कार्यक्रम का 1 से 15 फरवरी तक पखवाड़ा
हरमुद्दा
रतलाम, 7 फरवरी। सम्पूर्ण अंचल में इन दिनों माता पिता पूजन उत्सव की धूम है। विभिन्न स्थानों पर बच्चों से लेकर बड़े तक सभी अपने अपने माता पिता का विधि-विधान से पूजन-परिक्रमा कर यशस्वी जीवन का आशीर्वाद ले रहे है। बच्चों का उत्साह देख बड़े भी स्वयं को नहीं रोक पाए उन्होंने ने भी अपने बुजुर्ग माता पिता के साथ इस आयोजन में सहभगिता की। मुख्य आयोजन 13 फरवरी को श्री कालिका माता मन्दिर गरबा प्रागंण में रखा गया है।
प्रचार प्रसार प्रमुख नीलेश सोनी ने हरमुद्दा को बताया कि
युवा सेवा संघ, श्री योग वेदांत सेवा समिति और महिला कल्याण उत्थान मंडल द्वारा संयुक्त रूप से प्रतिवर्ष 14 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माता पिता पूजन दिवस मनाया जाता है। इसी उपलक्ष्य में रतलाम शहर में इस अभिनव आयोजन को मिले अभूतपूर्व समर्थन को देखते हुए विभिन्न कालोनियों व गाँवो में कार्यक्रम 1 से 15 फरवरी तक एक पखवाड़े तक मनाया जा रहा है। जिससे शहर के प्रत्येक क्षेत्र के बच्चों में अपने अभिभवकों के प्रति आदर और सम्मान का भाव विकसित हो।
हर वर्ग के हो रहे हैं उत्सव में शामिल
रतलाम शहर में माली कुआ, तेजा नगर, सखवाल नगर,नया गाँव, काटजू नगर, टेलीफोन नगर तथा बिहारी समाज चेतना मंच के सरस्वती पूजन कार्यक्रम में आयोजित माता पिता पूजन में बड़ी संख्या में हर उम्र वर्ग के नागरिक शामिल हुए । मुख्य आयोजन 13 फरवरी को श्री कालिका माता मन्दिर गरबा प्रागंण में रखा गया है। इस आयोजन में रतलाम सहित आसपास के ग्रामीण अंचल से बड़ी संख्या में बच्चे और उनके अभिभावक शामिल होंगे। विगत 10 वर्षो से समिति द्वारा मुख्य आयोजन श्री कालिका माता मन्दिर प्रागंण में विभिन्न धर्मगुरुओं की पावन उपस्थिति में आयोजित किया जाता है।
पूजन का सिलसिला अनवरत जारी
जबकि ग्रामीण अंचल में अभी तक पंचेड, डोंसी गाँव, परनाला, घोड़ा खेड़ा, सोनगढ़ व बांगरोद में कार्यक्रम आयोजित हो चुके है। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक सभी जगह माता पिता पूजन कार्यक्रम का सिलसिला अनवरत जारी है। आयोजन के लिए समिति द्वारा सम्पूर्ण व्यवस्थाएं निशुल्क की जाती है। पूजन करने आने वाले को पूजन सामग्री भी संस्था द्वारा ही दी जाती है। माता पिता का पूजन करने के लिए जगह क्षेत्रीय नागरिकों की होती है जबकि सम्पूर्ण व्यवस्थाएं समिति करती है।