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रूस यूक्रेन हमला :  वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल

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 भारत के आम आदमी की जेब पर भारी असर भी संभव

हरमुद्दा
गुरुवार, 24 फरवरी। आखिरकार रूस ने यूक्रेन पर गुरुवार सुबह हमला बोल दिया कई मिसाइलें दागी है सुबह से दोपहर तक यही कार्रवाई चल रही है यूक्रेन के अब तक 40 सैनिक शहीद हो चुके हैं कई लोग मारे जा चुके हैं दर्जनों घायल हैं। सुबह से जो घटनाक्रम चल रहा है। उससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराना शुरू हो गए हैं। शेयर मार्केट जहां सुबह धड़ाम हुआ है वहीं सोने के भाव में तेजी आई है।

हमले की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ भारत के आम आदमी की जेब पर भारी असर पड़ सकता है। यही नहीं, आम आदमी के साथ इस जंग का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा। फिलहाल, भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी कोरोना वायरस महामारी से उबर रही है। ऐसे में अगर रूस का यूक्रेन पर आक्रमण शुरू हो चुका है। ग्लोबल और इंडियन इकॉनमी पर गलत असर पड़ेगा।

बढ़ेगी नेचुरल गैस की कीमत

यूक्रेन-रूस संकट ने ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत को 100 डॉलर प्रति बैरल पर धकेल दिया है, जो सितंबर 2014 के बाद से सबसे अधिक है। रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। मौजूदा संकट से आने वाले दिनों में कीमतें अधिक तक जा सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का वैश्विक जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा। जानकारी के अनुसार, जेपी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक जीडीपी विकास दर घटकर सिर्फ 0.9 फीसदी रह जाएगी।

प्राकृतिक गैस की कीमत बढ़ सकती है 10 गुना

थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बास्केट में कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में वृद्धि, भारत की WPI मुद्रास्फीति में लगभग 0.9 प्रतिशत की वृद्धि करेगी। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद विशेषज्ञों के मुताबिक घरेलू प्राकृतिक गैस (सीएनजी, पीएनजी, बिजली) की कीमत 10 गुना बढ़ सकती है।

बढ़ सकती है एलपीजी, केरोसिन सब्सिडी

रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच जंग होती है तो इससे एलपीजी और केरोसिन सब्सिडी में बढ़ोतरी हो सकती है।

पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ेंगी

पहले से ही कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने पूरे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है, जिसकी वजह से देश ने साल 2021 में ईंधन की कीमतों के मामले में रिकॉर्ड ऊंचाई देखी है। ऐसे में अगर रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि देख सकता है। तेल भारत के कुल आयात का लगभग 25 प्रतिशत है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है। तेल की कीमतों में तेजी का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा।

बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम

अगर ब्लैक सी क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में रुकावट आती है तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका कीमतों और ईंधन खाद्य मुद्रास्फीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक है जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। दोनों देशों का गेहूं के कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।

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