प्राचीन समय से चली आ रही है आत्म सुरक्षा की तकनीक : काकानी
⚫ सात दिवसीय आत्मसुरक्षा शिविर के समापन
हरमुद्दा
रतलाम, 7 मई। वर्तमान समय में बेटियों को आत्मसुरक्षा करना आना बहुत आवश्यक हैं। यह तकनीक प्राचीन समय से चली आ रही है जिसे ऋषि मुनि भी अपने शिष्यों को मुकाबला करने की शिक्षा देते थे। इस कला को नियुद्ध कहा जाता था। जिसका अर्थ है बिना हथियार के युद्ध करना। हमें अपने संस्कार संस्कृति को नहीं भूलना है। यही हमें संबल प्रदान करते हैं। साथ ही माता पिता का आदर करना चाहिए। इनके आशीष जीवन में तरक्की प्रदान करते हैं। हमें विपरीत एवं विकट परिस्थितियों में डरना नहीं है एवं डटकर मुकाबला करना है इसके लिए हमें निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है।
यह बात सृष्टि समाज सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय आत्मसुरक्षा शिविर के समापन एवं सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि गोविंद काकानी ने कही।आत्मसुरक्षा शिविर में भाग लेने वाली बेटियों का सम्मान समारोह डोंगरे नगर स्थित तेजेश्वर महादेव मंदिर के सामने उद्यान में रखा गया जिसमें मुख्य अतिथिद्वय समाजसेवी गोविंद काकानी, अनिल झालानी, विशेष अतिथि वीरेन्द्र सिंह राठौर धराड़ उपस्थित रहे। अतिथियों ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
इन्होंने दिया प्रशिक्षण
मुख्य प्रशिक्षक शुभम तलोदिया सहायक प्रशिक्षक दिव्या भगोरा, कशिश शर्मा, आशुतोष प्रजापत, राजवर्धन सिंह हरोड ने आत्मरक्षा के गुर से स्वयं की सुरक्षा की तकनीकों का सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया।
यह थे मौजूद
आयोजन में सृष्टि समाज सेवा समिति अध्यक्ष सतीश टाक,उपाध्यक्ष दिव्या श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव काजल टाक, फाल्गुनी उपाध्याय सहित अन्य मौजूद थे। संचालन संस्था सचिव पूजा व्यास ने किया। आभार यामिनी राजावत ने माना।