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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बगैर होंगे, प्रदेश सरकार रिव्यू पिटीशन करेंगी दाखिल

⚫ 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्‍मेदारी

⚫ दो हफ्ते में अधिसूचना घोषित करें चुनाव की

हरमुद्दा
भोपाल, 10 मई। मध्य प्रदेश में पंचायत व नगरीय निकाय के चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्‍मेदारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देशित किया है कि दो हफ्ते में चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। अब ट्रिपल टेस्‍ट पूरा करने के लिए अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी, चुनाव में ओबीसी आरक्षण के साथ हमारी कोशिश है।

सरकार से की थी अनुशंसा

राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की अनुशंसा सरकार से की थी। इस आशय की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में भी प्रस्तुत की गई थी। इस मामले में सरकार पहले ही कह चुकी है कि हम माननीय अदालत के निर्देशानुसार चुनाव कराने के लिए तैयार हैं।

अध्ययन कराने के निर्देश दिए थे पिछड़ा वर्ग को

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश में त्रिस्तरीय (ग्राम, जनपद और जिला) पंचायत और नगरीय निकाय (नगर परिषद, नगर पालिका और नगर निगम) में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए सरकार से अध्ययन कराने के निर्देश दिए थे। सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया था, जिसने मतदाता सूची का परीक्षण कराने के बाद दावा किया कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता ओबीसी हैं। इस आधार पर रिपोर्ट में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा करते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी। इसे विगत शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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