धर्म संस्कृति : संपूर्ण समाज, प्राणीमात्र, पेड़-पौधे, नदी, पहाड़, प्रकृति एवं सम्पूर्ण विश्व करता है मंगल कामना
⚫ आदि जगतगुरु शंकराचार्य जी का मनाया जन्मोत्सव
हरमुद्दा
रतलाम, 13 मई। सनातन धर्म ही एक मात्र धर्म है जो प्रारंभ से है और अंत तक रहेगा, अन्य नामों से जाने जाने वाले धर्म पंत, मान्यताएं एवं विचार है जो समय समय पर मनुष्यों, संतों, विद्वानो द्वारा रखे गए हैं जो समाज के छोटे से वर्ग तक ही सीमित है, एकमात्र सनातन धर्म ही है जो संपूर्ण समाज, प्राणीमात्र, पेड़-पौधे, नदी, पहाड़, प्रकृति एवं सम्पूर्ण विश्व के मंगल की कामना करता है I कामना ही नहीं करता बल्कि उनको मूर्त रूप में स्थापित कर प्रमाणित भी किया है I विश्व को सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था केवल सनातन धर्म ही दे सकता है इसीलिए चाहे भारत में सनातन धर्म कमजोर हो रहा हो पर विश्व में लोग सनातन धर्म की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
यह बात सर्व ब्राह्मण समाज रतलाम के संयोजक पुष्पेंद्र जोशी ने कही। श्री जोशी आदि जगतगुरु शंकराचार्य जी के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।
मनाया उत्सव
सर्व ब्राह्मण समाज रतलाम एवं श्री सनातन धर्म सभा एवं महारुद्र यज्ञ समिति रतलाम द्वारा चारों वेदों के ज्ञाता एवं छोटी उम्र में ही पूरे विश्व में सनातन धर्म की पून: स्थापना करने वाले श्री आदि जगतगुरु शंकराचार्य जी का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया।
हुआ अभिषेक व पूजन अर्चन
प्रात: त्रिवेणी तट पर स्थित आदि शंकराचार्य जी के मंदिर पर मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक, पूजन एवं आरती पं. अवधनरेश दुबे द्वारा संपन्न करवाई। कार्यक्रम में पं. रामचंद्र शर्मा, डॉ राजेंद्र शर्मा, मोहन भट्ट, अनुराग लोखण्डे, शरद शुक्ला, चेतन शर्मा, नवनीत सोनी, रमेश व्यास, गौरव त्रिपाठी, हेमंत व्यास, सूरजमल टांक, विजय जैन, सतीश राठौड़ आदि उपस्थित थे।