मुद्दा गुना की घटना का : मामूली उठाई गिरे पुलिस जवान को मार देंगे तो सवाल उठना लाजमी
⚫ हमारी पुलिसिंग को बनाना होगा समयानुसार सक्षम
त्रिभुवनेश भारद्वाज
गुना में दो टपोरियों ने तीन पुलिस जवानों को मार दिया। घटना दुःखद और बुनियादी तौर पर पुलिस को सक्षम बनाने की और साफ इशारा करती है। यदि मामूली उठाई गिरे पुलिस जवान को मार देंगे तो सवाल उठना लाजमी है कि हमारी पुलिस इतनी लाचार क्यों है?
शनिवार तड़के 3.30 बजे काले हिरण का शिकार कर ले जा रहे तस्करों के रास्ता गुना पुलिस ने रोका और शुरू हुआ संघर्ष। तस्करों ने तीन पुलिस जवानों को मार दिया और भाग निकले। क्या पुलिस महकमा स्थिति अनुसार मुकाबला करने में बिल्कुल सक्षम नहीं है। यदि ऐसा है तो पुलिस का वर्तमान ढर्रा खत्म कर देना चाहिए।
हाईटेक पुलिस की जरूरत बता चुके है देश के प्रसिद्द उद्योगपति रतन टाटा
लाचार पुलिस की जगह हाईटेक पुलिस की जरूरत पर देश के प्रसिद्द उद्योगपति रतन टाटा भी बता चुके हैं। एक पुलिस जवान की जान जाती है तो पुलिस की इमेज को भी नुकसान पंहुचता है । स्कॉटलैंड पुलिस को आज के शातिर अपराधियों को दो मिनिट में ठिकाने लगा देने में इतना सक्षम बनाया गया है कि पुलिस की सतर्क पोजिशन और सबल देहयष्टि देखकर ही अपराधी की हवा निकल जाती है।
मोटापे की शिकार पुलिस फिटनेस स्तर पर दुरुस्त नहीं
एक सर्वे में यह तथ्य उभर कर सामने आया कि अंग्रेजों के जमाने की परम्परागत, सुस्त पुलिस को बदला ही नहीं गया। काम के घण्टे अव्यवस्थित खानपान और बेतरतीब कामकाज के कारण मोटापे की शिकार पुलिस फिटनेस स्तर पर दुरुस्त नहीं है ऐसे में एक चपल कमांडो और सबल फ़रिश्तें की भूमिका निभाने में पुलिस समर्थ नहीं है। एक खाकी वर्दी जितना कर सकती है, बस उतना ही किया जा सकता है।
ताकि कोई अपराधी देखते ही हो जाए धराशाही
जाहिर है पुलिस किनारे खड़ी है और अपराधी बीच सड़क पर कोहराम मचा रहे हैं। साइबर क्राइम,मास्टर माइंड मर्डर और विज्ञान के सहयोग से होने वाले अपराधों में को उधेड़ने और अपराधियों के हलक में हाथ डालने में हमारी पुलिस अपेक्षित स्तर पर प्रशिक्षित भी नहीं। रेल की पटरियों की तरह भारतीय लोकतंत्र को डंडे वाली पुलिस को भी अंग्रेजों के द्वारा दी गई भेंट मानकर कोई कोशिश ही नहीं गई कि समय और अपराध के बदलते विज्ञान के साथ हमारी पुलिस भी मार्शल आर्ट, कराते, कुंग फू में मशीर हो और बढ़िया टाइमिंग की एथलीट योग्यता भी रखती हो, ताकि कोई अपराधी देखते ही धराशाही हो जाए।
⚫ त्रिभुवनेश भारद्वाज