फिर भी हौसले बुलंद : कोरोना में माता-पिता को खोने के बाद आंसू ने छीन ली हंसी, मगर सपनों को साकार करने का है मन में दृढ़ संकल्प

⚫ मानव संसाधन मंत्री के निर्देश पर कलेक्टर ने सौंपे सुविधा के दस्तावेज

प्रधानमंत्री ने कहा “मैं परिवार के सदस्य के रूप में आपसे बात कर रहा हूं आप सभी बच्चों का अदम्य साहस, संघर्ष और चुनौतियों को करेगा पार

हरमुद्दा
दिल्ली/रतलाम, 30 मई। कोरोना काल में अपने माता पिता को खोने वाले बच्चों के लिए पीएम केयर फॉर चाइल्ड योजना शुरू की है। माता-पिता को खोने के बाद रतलाम की दो बेटियों के आंसू ने हंसी छीन ली, मगर सपनों को साकार करने का मन में दृढ़ संकल्प है तो बस प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गई विशेष योजना और आर्थिक सहायता के बल पर। दोनों बेटियों का यही कहना है मन में है विश्वास। पूरा है विश्वास। हम होंगे कामयाब।

सोमवार को कलेक्टोरेट स्थित एनआईसी कक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल रूप से बच्चों को संबोधित किया। आयोजन में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी भी मौजूद थी।

रतलाम एनआईसी कक्ष में यह थे मौजूद

रतलाम एनआईसी कक्ष में कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, अपर कलेक्टर एमएल आर्य, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा, सहायक संचालक रवींद्र मिश्रा, जनसंपर्क अधिकारी शकील खान सहित बाल कल्याण समिति के सदस्य मौजूद थे।

निर्देश निर्देश मिलते ही कलेक्टर ने बच्चों को सौंपे सुविधा के दस्तावेज

कलेक्टर श्री सूर्यवंशी श्वेता को दस्तावेज सोते हुए
कलेक्टर श्री सूर्यवंशी प्रेरणा शर्मा को दस्तावेज सोते हुए

प्रधानमंत्री के सुबह 10:30 बजे आते ही कार्यक्रम की शुरुआत हुई। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ईरानी में जैसे ही निर्देश दिए वैसे ही रतलाम कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने 15 बच्चों को दस्तावेज सौंपे। इसके साथ ही दो बेटियों को उनके मकान की रजिस्ट्री भी दी। साथ ही नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया को नामांतरण करने के निर्देश भी दिए। एक बिटिया के पिता का एचडीएफसी बैंक का लोन था। उसका पूरा भुगतान कलेक्टर द्वारा किया गया। एचडीएफसी बैंक के ब्रांच मैनेजर लक्ष शर्मा एवं विजय मौजूद थे। उन्होंने ऋण के पूर्ण भुगतान के दस्तावेज पर हस्ताक्षर लिए।

ऋण पूर्णता पर हस्ताक्षर करते हुए

जिन्होंने अपनों को खोया है उनके लिए यह बदलाव कठिन

प्रधानमंत्री संबोधित करते हुए

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मैं प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि परिवार से सदस्य के रूम में बात कर रहा हूं। ऐसी परिस्थिति की हमने कल्पना भी नहीं की थी, अचानक अंधेरा छा जाता है, कोरोना ने अनेकों के जीवन में ऐसा ही किया हैं। कोरोना के कारण जिन्होंने अपनों को खोया है उनके लिए यह बदलाव कठिन हैं। आज जो बच्चे हमारे साथ हैं, उनकी तकलीफ शब्दों में कहना मुश्किल हैं। जो चला जाता हैं उसकी चंद यादें होती हैं, लेकिन जो रह जाता है उसके सामने चुनौती का अम्बार होता हैं। बच्चों की मुश्किल कम करने का छोटा सा प्रयास हैं पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन।

बच्चों को भावनात्मक सहयोग व मार्गदर्शन की जरूरतपीएम केयर्स के जरिये ऐसे बच्चों की शिक्षा, कापी-किताब का खर्चा उठाया जाएगा। उच्च शिक्षा के लिए भी मदद की जाएगी। ऐसे बच्चे जब स्कूल की पढ़ाई पूरी करेंगे तो आगे के लिए और पैसों की जरूरत होंगी। 23 साल की उम्र में 10 लाख रुपये व प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। आयुष्मान कार्ड भी मिलेगा जिससे पांच लाख तक का इलाज मुफ्त मिलेगा। बच्चों को भावनात्मक सहयोग व मार्गदर्शन की जरूरत होंगी। विशेष संवाद सेवा शुरू की है, बच्चे उनसे सलाह ले सकते हैं।

माता पिता के सहयोग की भरपाई नहीं कर सकता कोई भी सहयोग

प्रधानमंत्री ने कहा आपने जिस साहस और हौसले से इस संकट का सामना किया उसे सैल्यूट करता हूं। पूरा देश आपके साथ है। कोई भी सहयोग माता पिता के सहयोग की भरपाई नहीं कर सकता। इस संकट की घड़ी में सभी भारतीय आप सभी बच्चों के साथ है। पीएम केयर्स योजना के जरिये देश अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन का और प्रयास कर रहा है। सेवा और त्याग के कैसे कैसे उदाहरण सामने आए। इस फंड ने कोरोनाकाल में अस्पताल बनाने, सुविधाएं जुटाने में मदद की। आज यह फंड उन बच्चों के काम आ रहा है जिनके माता पिता छोड़ गए हैं।

अच्छी किताबें भी करेंगी मार्गदर्शन

बच्चों को लंबी यात्रा करना है। महान लोगों ने जीवन में अलग मुश्किलों का सामना किया पर हार नहीं मानी। जीत का यही मंत्र आपको जीवन में मार्गदर्शन करेगा। यह मंत्र भूलना नहीं। अब आपके पास अच्छे बुरे का भेद बताने के लिए परिजन व शिक्षक हैं। उनकी बात सुनें। अच्छी किताबें भी मार्गदर्शन करेंगी। जीवन उपचार से नहीं, आरोग्यता से जुड़ा होता है। आप फिट इंडिया और खेलो इंडिया से जुड़ें। पढ़ाई के साथ योग भी आपके जीवन का हिस्सा बने।

आपदा के बीच हमने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की शुरुआत

भारत ने अपने सामर्थ्य पर भरोसा किया। अपने वैज्ञानिक, डाक्टरों पर भरोसा किया। हमने दुनिया के देशों को दवाई दी, वैक्सीन दी। आपदा के बीच हमने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की शुरुआत की। सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन रहे हैं।

हमारे युवा देश और दुनिया को दिखाएंगे रास्ता

हमारी सरकार अपने आठ वर्ष पूरे कर रही है तो जनता का भरोसा बढ़ा है। कठिन से कठिन दिन भी गुजर जाते हैं। सबका साथ सबका विकास मंत्र के साथ भारत आगे बढ़ रहा है। परिवार के सदस्य के रूप में प्रयास किया कि गरीब का जीवन आसान हो। गरीब को यकीन है कि सरकार की योजना का लाभ उसे जरूर मिलेगा। यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल हैं। दुनिया में भारत की आन-बान-शान बढ़ी हैं। इसका नेतृत्व युवा शक्ति कर रही है। हमारे युवा देश और दुनिया को रास्ता दिखाएंगे। संकल्प को लेकर चलें। सपने साकार हुए बिना नहीं रहेंगे। दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं रोक सकती यदि आपमें जज्बा है। परिवार के व्यक्ति के नाते बात कर रहा हूं, आशीर्वाद देता हूं… आप बहुत आगे बढ़े. शुभकामनाएं।

प्रेरणा का लक्ष्य आईपीएस अधिकारी बनना

प्रेरणा शर्मा

पिता कमलेश शर्मा और मां गिरिबाला निधि शर्मा को मार्च 2021 में खोने वाली प्रेरणा शर्मा का लक्ष्य आईपीएस अधिकारी बनना है। अनुकंपा नियुक्ति के तहत वर्तमान में प्रेरणा मध्य प्रदेश विद्युत मंडल कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत है। प्रेरणा ने हरमुद्दा को बताया कि कोरोना के चलते 22 मार्च को पिता तथा 28 मार्च को मम्मी का निधन हुआ। प्रेरणा की एक बहन 12वीं में पढ़ रही है, वही छोटा भाई कक्षा आठवीं का विद्यार्थी है। दोनों भाई बहनों के बारे में प्रेरणा ने बताया कि वह जो बनना चाहे, उनको उस पद के योग्य बनाने में पूरी मदद की जाएगी। उन पर मेरा कोई दबाव नहीं रहेगा। साथ पूरा रहेगा। जीवन में हर दिन संघर्ष और चुनौतियां हैं जिन्हें हम प्रधानमंत्री की प्रेरणा से पार कर लेंगे। मन में पूरा विश्वास है। सफलता हासिल करेंगे ही।

एयर होस्टेज बनना चाहती है श्वेता

श्वेता चौहान

श्वेता चौहान ने हरमुद्दा को बताया कि उसकी दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। एक छोटी बहन है। श्वेता एयर होस्टेज बनने का सपना लिए हुए हैं, जो कि वह पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। श्वेता ने बताया कि प्रधानमंत्री की योजना से काफी हौसला बढ़ा है और संबल भी मिला है। श्वेता का कहना है कि योजना से यह लाभ तो मिलेगा कि हम अपने सपनों को साकार कर सकेंगे लेकिन कोरोना में माता-पिता को खोकर जो दंश मिला है, वह भूलना नामुमकिन है। हम अपने लक्ष्य में कामयाब जरूर होंगे।

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