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जयंती पर भी हुआ व्याख्यान : प्रखर चिंतक, युगदृष्टा तथा एकात्म मानववाद के प्रणेता के रूप में दीनदयाल जी की रही अहम भूमिका

⚫ “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” विषय पर म.प्र. जन अभियान परिषद के बैनर तले हुआ जिला स्तरीय व्याख्यान

⚫ लोकतंत्र सेनानियों का किया सम्मान

हरमुद्दा
रतलाम, 25 सितंबर। म.प्र. जन अभियान परिषद के बैनर तले रविवार को  पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिला स्तरीय “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” विषय पर हुई व्याख्यान के मुख्य वक्ता पार्थ सारथी ने कहा पंडित उपाध्याय प्रखर चिंतक, युगदृष्टा तथा एकात्म मानववाद के प्रणेता के रूप भूमिका रही। आयोजन में लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया।

मंचासीन अतिथि

कार्यक्रम के मुख्यातिथि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष एवं योग आयोग के उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा) भरत बैरागी थे। मुख्यवक्ता प्रांत प्रकल्प प्रमुख पार्थ सारथी थे। अध्यक्षता लोकतंत्र सैनानी संभागीय अध्यक्ष महेंद्र नाहर ने की। विशेष अतिथि जनपद अध्यक्ष साधना जायसवाल, समाजसेवी गोविंद काकानी, एनजीओ प्रकोष्ठ जिला संयोजक राजेश रांका, नवांकुर समिति सदस्य एड. सुनीता छाजेड़ की मौजूदगी में व्याख्यानमाला हुई। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ तत्पश्चात जिला समन्वयक द्वारा रत्नेश विजयवर्गीय द्वारा स्वागत उद्बोधन व अतिथि परिचय दिया गया।

दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अतिथि

रुद्राक्ष की माला पहना कर किया सम्मान

आयोजन में शहर के लोकतंत्र सेनानियों का रुद्राक्ष की माला एवं दुपट्टा डाल कर अभिनंदन किया गया। संचालन महावीर दास बैरागी ने किया। आभार विकासखंड समन्वयक शैलेंद्र सिंह सोलंकी ने माना।

भारत की आत्मा में बसता अनेकता में एकता का मंत्र

दीनदयाल उपाध्याय जी को प्रखर चिंतक, युगदृष्टा तथा एकात्म मानववाद के प्रणेता के रूप रूप में उनकी भूमिका रही। आज भारत देश एक सूत्र में पिरोया हुआ है। अनेकता में एकता का मंत्र भारत की आत्मा में बसता है वहीं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की झलक है।

पार्थ सारथी, मुख्यवक्ता

राष्ट्रहित परिवार था उनका

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सोच को समाज के कल्याण की सोच रही। उपाध्याय जी का जीवन चरित्र ओजस्वी था। राष्ट्र ही उनका परिवार था। उनके विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। भारत को सशक्त बनाने के लिए दीनदयाल जी के विचारों को अपनाने की जरूरत है उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा पर बल दिया।

भरत बैरागी, मुख्य अतिथि

अंतिम व्यक्ति के कल्याण की रही सोच

दीनदयाल जी की सोच को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने और उसका कल्याण करने की सोच रही। आज उसी सोच का परिणाम कि आज भारत की सरकार अंत्योदय पर बल दे रही है।

गोविंद काकानी, विशेष अतिथि

देश प्रेम से ओतप्रोत था उनका व्यवहार अवधेश

दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को राष्ट्र हितैषी विचार रहे, बहुत ही सादगी और सरलता की मिसाल थे। उनका व्यवहार देश प्रेम से ओतप्रोत था।

महेंद्र नाहर, अध्यक्ष

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