भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती : ‘सामुदायिक विकास के भारतीय माडल’ विषय पर हुआ राष्ट्रीय वेबीनार, सामाजिक विकास के लिए भारतीय परिवेश के अनुकूल शिक्षा पर जोर देने का आह्वान

⚫ भारतीय समाज कार्य परिषद, मध्य प्रदेश चैप्टर, भारतीय शिक्षण संस्थान और सत्य संस्था के संयुक्त प्रयास से हुआ राष्ट्रीय वेबीनार

⚫ देश भर के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

⚫ भारत रत्न नानाजी के चित्रकूट मॉडल को हमें विद्यार्थियों तक पहुँचाना होगा : डॉ. सहगल

हरमुद्दा
इंदौर, 12 अक्टूबर। भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती भारतीय समाज कार्य दिवस के रूप में भारत में मनाई। भारतीय समाज कार्य परिषद, मध्य प्रदेश चैप्टर, भारतीय शिक्षण संस्थान, और सत्य संस्था के संयुक्त प्रयास से ‘सामुदायिक विकास के भारतीय माडल’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन समाज कार्य महाविद्यालय में किया गया। देश के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सामाजिक विकास के लिए भारतीय परिवेश के अनुकूल शिक्षा पर जोर देने के लिए आह्वान किया गया।

भारत रत्न नानाजी देशमुख

कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के स्टाफ़ और विद्यार्थियों ने नानाजी को दे श्रद्धांजलि दे कर की। वेबीनार की सूत्रधार डॉ. रंजना सहगल ने स्वागत भाषण दिया।

किसी भी समस्या का स्थायी समाधान स्थानीय ज्ञान व स्थानीय नेतृत्व द्वारा ही सम्भव

सम्पर्क संस्था के संस्थापक, संचालक एवं झाबुआ क्षेत्र के आदिवासियों के विकास के लिए कार्य करने पर 2022 में जमुनालाल पुरस्कार प्राप्त निलेश देसाई ने कहा कि किसी भी समस्या का स्थायी समाधान स्थानीय ज्ञान व स्थानीय नेतृत्व द्वारा ही सम्भव है। 1987 में मध्यप्रदेश के पश्चिमी भाग में पहाड़ी व पथरीली भूमि के कारण निम्न भूजल स्तर व वनों के विनाश के कारण खेती की जमीन में कमी होने लगी व सामान्य से कम वर्षा होने के कारण लोग आजीविका के लिए पलायन करने लगे। ऐसी स्थिति में की भागीदारी से कार्य करने के लिए लोगों के साथ संवाद की प्रक्रिया शुरू करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य था। इन कलाकारों को ग्राम की समस्याओं व सामाजिक मुद्दों पर प्रशिक्षित कर नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया। डॉ. एस आर बिल्लोरे, ने सामुदायिक विकास के चार मॉडल्स में तुलना करते उनकी विशेषताओं को बखूबी इंगित किया। देश के कई शोध विद्यार्थियों ने अपने पेपर प्रस्तुत किए। मिजोरम के डॉक्टर कनकराज, केरल की डॉक्टर लक्ष्मी, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कुलसचिव डॉ. ज्वाला प्रसाद ने प्रभावी विचार व्यक्त किए। वेबीनार की रिपोर्ट मोहन ने प्रस्तुत की। संचालन दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क की पूर्व एचओडी स्नेहलता ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. डी पी सिंह ने माना।

शिक्षा के लिए भारतीय परिवेश के अनुकूल मॉडल बनाने की जरूरत

वर्तमान में समाज कार्य शिक्षा और प्रशिक्षण में मूल परिवर्तन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। पाश्चात्य संस्कृति में स्थित समाज कार्य शिक्षा पद्धति भारत के सामाजिक परिवेश में प्रासंगिक नहीं है। हमें एक भारतीय परिवेश के अनुकूल मॉडल तैयार करना होगा जिसके लिए हमें अपना पाठ्यक्रम, अपनी पुस्तकें और भारतीयता में विश्वास रखने वाले शिक्षक की आवश्यकता होगी। इसमें शुरुआत हो चुकी है। भारत रत्न नानाजी के चित्रकूट मॉडल को हमें विद्यार्थियों तक पहुँचाना होगा

⚫ डॉ. रंजना सहगल

ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में सामुदायिक सहभागिता : डॉ. बंसल

ग्राम को आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में सामुदायिक सहभागिता की आवश्यकता को प्रमुख माना। उन्होंने कम्यूनिटी मैपिंग के महत्व को बताया और समुदाय की आवश्यकता के आधार पर कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता को इंगित किया।

डॉ. सत्यप्रकाश बंसल, कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल

उनके लिए समुदाय में काम करना आसान नहीं

आज के विद्यार्थी जब इलीट महाविद्यालयों से आते है तो ग्रामीण परिवेश में उन्हें समायोजित होने में मुश्किल होती है। समुदाय में काम करना आसान नहीं। इसके लिए एक मूल्य आधारित समाज कार्य प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

डॉ. शंकर दास, डीन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस

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