प्रत्येक रचना हमारे दौर की कहती है कहानी
⚫ ‘सुनें- सुनाएं’ के तीसरे सोपान में पढ़ी गईं महत्वपूर्ण रचनाएं
हरमुद्दा
रतलाम, 4 दिसंबर। रचनात्मक गतिविधियों को नया आयाम देने एवं नगर के सुधिजनों को साहित्य संवाद की परंपरा से जोड़ने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया ‘सुनें- सुनाएं’ आयोजन अपने उद्देश्य में कामयाब होता दिख रहा है। सुनें सुनाएं के तीसरे सोपान में देश के महत्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाओं का सुधिजनों ने पाठ किया और यह रेखांकित भी किया कि प्रत्येक रचना हमारे सुनहरे दौर एवं हमारी विसंगतियों को आज भी पूरी शिद्दत से पेश करती है । हमारे कालजयी रचनाकार एवं मौजूदा रचनाकारों ने जो भी रचनाएं लिखीं हैं उनमें कही गई बातें हमें आज भी प्रासंगिक लगती है तो यह रचनाओं का प्रभाव है। इन रचनाओं का निरंतर पाठ किया जाता है तो हमारी नई पीढ़ी को भी इनसे जुड़ने का मौका मिलेगा।
जीडी अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित सुनें सुनाएं के तीसरे आयोजन में श्रीमती इंदु सिन्हा ने अज़हर हाशमी की सुप्रसिद्ध कविता ‘राम वाला हिंदुस्तान’ का सस्वर पाठ किया वहीं मयूर व्यास ने चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ का पाठ कर विसंगतियों को शिद्दत से पेश किया। कविता व्यास ने महादेवी वर्मा की कविता का पाठ किया। रश्मि जोशी पंडित ने डॉ जयकुमार ‘जलज’ की कविता का पाठ किया वहीं उमेश कुमार शर्मा ने डाॅ. हरिवंश राय बच्चन की रचना ‘पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान करले’ का पाठ किया। आई एल पुरोहित ने दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल ‘हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए ‘ का सस्वर पाठ किया। श्याम सुन्दर भाटी ने भावसार बा की मालवी कविता का पाठ कर आनंदित कर दिया। आशीष दशोत्तर ने ‘कृष्ण चंदर की कहानी ‘ जामुन का पेड़’ का पाठ किया।
रचनाओं पर विमर्श में यह थे मौजूद
रचना पाठ के साथ ही रचनाओं पर विमर्श में ओमप्रकाश मिश्र, सुरेन्द्र छाजेड़, गुस्ताद अंकलेसरिया, रवि बोथरा, मुकेश पुरी गोस्वामी, महावीर वर्मा, राधेश्याम शर्मा, त्रिभुवनेश भारद्वाज, सुशीला कोठारी ने शिरकत करते हुए कहा कि सुनो सुना है कि हर आयोजन में नए लोग उपस्थित होकर अपने प्रिय कवि की रचनाएं पढ़ रहे हैं यह सुखद है। शहर की रचनात्मकता कोई से नया जीवन मिलेगा और पठन-पाठन में लोग झूठे लोग अपनी अभिव्यक्ति इस आयोजन के माध्यम से कर सकेंगे। आयोजन में सुधिजन उपस्थित थे।