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“छोटी-सी बाती रोशनी की” पुस्तक की कविताएँ सकारात्मक संदेश देती है : डॉ. चतुर्वेदी

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⚫ प्रसिद्ध कवि और चिंतक प्रो. अजहर हाशमी की कविताओं की पुस्तक “छोटी-सी बाती रोशनी की”  का वर्चुअल विमोचन

हरमुद्दा
रतलाम, 16 दिसंबर। प्रसिद्ध कवि और चिंतक प्रो. अजहर हाशमी की कविताओं की पुस्तक “छोटी-सी बाती रोशनी की”  का वर्चुअल विमोचन लेखक और पर्यावरण-विशेषज्ञ क्रांति चतुर्वेदी ने किया।

विमोचन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि कविताओं की इस पुस्तक का शीर्षक जितना आकर्षक व प्रभावकारी हैं। कविताएँ भी उतनी ही वजनदार और मर्मस्पर्शी है। “छोटी-सी बाती रोशनी की”,  दरअसल सकारात्मकता का संदेश देती है। कितना ही घना अंधकार हो किंतु रोशनी से वह हमेशा हारता है। हाशमी जी ने “छोटी-सी बाती रोशनी की”‘ पुस्तक में निहित कविताओं में प्रकृति से लेकर देश तक, परिवार से लेकर पर्यावरण तक, संस्कार से लेकर संस्कृति तक, श्रमिक से लेकर किसान तक, फल, सब्जी और दूध बेचने वाले से लेकर हम्माल तक, माता-पिता और मासूम बच्चे से लेकर गुरु तक, पृथ्वी से लेकर धर्म तक, नर्मदा से लेकर क्षमा तक, कचरा बीनने वाले बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, संकल्प से लेकर पुरुषार्थ तक, कई विषयों को संवेदनशीलता के साथ रेखांकित किया है। जिसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस पुस्तक में संवेदना और संवेदनशीलता पर भी कविता है। हाशमी जी मूलतः तो गीतकार हैं किंतु उन्होंने हिन्दी साहित्य की कई विधाओं में लिखा है।  अतुकांत कविताओं से लबरेज “छोटी-सी बाती रोशनी की”  में चिंतन की प्रधानता तो है ही संप्रेषणीयता  भी है। कुछ कविताएँ तो ऐसी लगती हैं जैसे नए प्रतिमानों के साथ नई  परिभाषाएँ । “छोटी-सी बाती रोशनी” की’ कविताएँ पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने जैसी हैं। और हर परिवार तथा लायब्रेरी में इस पुस्तक को होना चाहिए।

पुस्तक में 74 कविताएँ है शामिल

उल्लेखनीय है कि संदर्भ प्रकाशन, भोपाल द्वारा प्रकाशित 104 पृष्ठ की इस पुस्तक में 74 कविताएँ हैं। इसकी भूमिका प्रसिद्ध साहित्यवार चिंतक और कवि प्रेम भारती (भोपाल) ने लिखी है ‘जिसमें उन्होंने कहा है कि ” खुसरो, रहीम रसखान, कबीर के समान प्रो. हाशमी ने “छोटी-सी बाती रोशनी” की को प्रज्ज्वलित कर जिस अधिष्ठान को आधार बनाया है उससे यह कृति आज के परिवेश में एक नव चिंतन को रेखांकित करती है।

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