मेरा अनुभव राष्ट्रीय एकता शिविर का : “सुख का दाता, सब का साथी शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है”, ने अलग ही छवि बनाई मध्य प्रदेश की

⚫ मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया राष्ट्रीय स्तर पर

⚫ सोते हुए को उठाने का मध्य प्रदेश का अंदाज बहुत भाया सभी राज्यों को

हरमुद्दा के लिए मीनाक्षी व्यास

मैं मीनाक्षी व्यास सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर जो महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक हरियाणा के एनएसएस प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किया गया था। शिविर में 17 अलग-अलग राज्यों से 200 स्वयंसेवक सम्मिलित हुए थे। शिविर कुछ अनुभव हरमुद्दा के पाठकों को शेयर करना चाहती हूं।

मध्य प्रदेश से हम 8 स्वयंसेवकों का दल था। शुरू में मन में बहुत सारी बातें थी। क्या होगा कैसे होगा और मेरे लिए बहुत ही गौरव की बात थी कि मैं मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय स्तर पर कर रही हूं। धीरे-धीरे अन्य राज्यों के स्वयंसेवकों से भी हमारा परिचय हुआ।

7 दिन में घुल मिल गए हम सब

राष्ट्रीय एकता शिविर नाम से ही स्पष्ट है एकता। मैंने जहां तक इसे समझा कि एकता इस अर्थ में कि भारत के इतने  राज्यों के स्वयंसेवकों से मिलना जिन्हें हम पहले से जानते तक भी नहीं है जिन की भाषा बोली पहनावा हर चीज अलग है, फिर भी 7 दिनों में हम सभी इतनी जल्दी इतना घुल मिल गए शायद यही राष्ट्रीय एकता शिविर हम सभी को सिखाता है।

बहुत कुछ सीखने को मिला

बहुत कुछ सीखा। वहां पर हर दिन अलग-अलग लेक्चर होते थे। कभी एनएसएस के बारे में तो कभी साइबर क्राइम के बारे में। कभी सड़क सुरक्षा तो कभी पर्यावरण जागरूकता, बहुत से विषयों के बारे में जानकारी दी।

आधे घंटे के तैयारी, 12 राज्य में मध्यप्रदेश में पाया तीसरा स्थान

ट्रॉफी के साथ मीनाक्षी व्यास

हर दिन अलग-अलग राज्यों को बांट दिया गया था। मध्य प्रदेश और राजस्थान का चतुर्थ दिवस था। जिसमें सांस्कृतिक संध्या में हम लोगों ने मध्य प्रदेश के लोक नृत्य पर  नृत्य किया । 
समूह नृत्य प्रतियोगिता में मात्र आधे घंटे की तैयारी में 12 राज्यों में से मध्यप्रदेश में तृतीय स्थान प्राप्त किया। “सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है मां की गोद पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।”

मध्यप्रदेश ने सोते हुए को उठाया अलग ही अंदाज में

वहां पर मध्य प्रदेश की अलग ही छवि बन चुकी थी।  हां यह मध्य प्रदेश के स्वयंसेवक हैं। वहां के कुलपति उपकुलपति कार्यक्रम समन्वयक सभी मध्यप्रदेश के स्वयंसेवकों से क्लोज हो गए थे। हर दिन अलग अलग राज्य जिसकी ड्यूटी है। वह दूसरे स्वयंसेवकों को सुबह प्रभात फेरी के लिए दरवाजे खटखटा के उठाता था लेकिन जब मध्यप्रदेश की बारी थी तो मध्यप्रदेश के स्वयं सेवकों ने ढोल मंजीरे बजाकर उठ जाग मुसाफिर भोर भई और श्री राम जानकी ऐसे भजनों को गाया, जिससे किसी भी किसी को भी दरवाजे ठोकर उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। सभी अपने आप ही तैयार होकर नीचे आ गए। कुलपति सर ने मध्य प्रदेश के बच्चों की बहुत तारीफ की समापन वाले दिन।

महाकाल की निकली सवारी

यहां तक कि गांव में जा कर “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” और स्वच्छता जैसे विषयों पर नुक्कड़ नाटक किया। अंतिम दिन मध्य प्रदेश के बच्चों ने महाकाल की सवारी निकाली और मुख्य अतिथि कुलपति समन्वयक सर सभी से महाकाल की आरती करवाई। उन्होंने इसकी भी बहुत तारीफ की

राष्ट्रीय शिविर में अलग छाप छोड़ कर आया मध्य प्रदेश

संपूर्ण रूप से देखा जाए तो मध्यप्रदेश वहां पर अपनी अलग ही छाप छोड़ कर आया है। मैं मेरी दोनों मैम राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी प्रो. डॉ. अनामिका सारस्वत और प्रो. नीलोफर खामोशी मैडम का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहूंगी आज राष्ट्रीय स्तर का प्रमाण पत्र मुझे मिला है। सच में एक बंद कमरे में बैठकर में मेरे भारत को नहीं देख सकती थी।

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