अनुकरणीय परंपरा : सभी समाज के लोग होते हैं गेर में शामिल, गमी वालों के जाते हैं घर, शामिल करते हैं खुशियों में

⚫ ऊंच-नीच का भेद मिटाते हैं सभी एक साथ

⚫ बच्चे बूढ़े जवान सभी हुए गेर में शामिल

हरमुद्दा के लिए जितेन्द्र राव

रतलाम, 8 मार्च। शहर से लगा एक गांव करमदी ऐसा है जहां होली पर गेर किसी एक समाज की ना होकर सर्व समाज के सभी लोग एक साथ होकर गांव के शोकाकुल परिवार में जाकर रंग डालते हैं और उन्हें होली की खुशी में शामिल कर ऊंच नीच का भेद मिटाते हैं।

हिन्दू समाज में हर वर्ग के समाज में किसी परिवार में कहीं गमी हो जाए तो होली ही ऐसा एक त्योहार है जब समाज के लोग शोकाकुल परिवार के दुख में शामिल होते है। हिन्दू समाज में हर समाज की गेर  होली पर निकलती है। समाज के व्यक्ति के घर परिवार में पहुच कर रंग गुलाल करते हैं  यह सामाजिक गेर केवल समाज के लोगों के घर ही जाती है। अन्य समाज के व्यक्ति के घर यह गेर नहीं जाती। परंतु करमदी में एक ही गेर हर वर्ष होली पर निकलती है जो गांव के हर शोकाकुल परिवार में जाती है और सभी समाज के लोग शोकाकुल परिवार में रंग गुलाल डालते हैं ।
गांव करमदी में वर्षो से यह परम्परा गांव में चली आ रही है इसकी तहत आज भी होली के दूसरे दिन धुलेंडी पर गांव के सभी प्रबुद्ध जन एकत्रीत होकर गांव के हर शोकाकुल घर घर जाकर रंग गुलाल डालते हैं । जहां ना कोई अगला होता है ना पिछड़ा, ना शुद्र। सभी एक रंग में रंगे होते हैं । गेर शोकाकुल परिवार के घर रंग गुलाल के बाद सभी को गांव की जली होली के दर्शन करवा कर गेर का समापन किया जाता है।

यह सभी रहे शामिल

आज भी गांव में रंगारंग गेर का आयोजन हुआ जिसमें में सभी समाज के वरिष्ठ व्यक्ति सुरेश वर्मा, कमलेश सोलंकी, राजेश पुरोहित, डाडम पाटीदार, विनय पाटीदार,संजय पाटीदार, केलाश भुरिया, रघुवीर मईडा, जमना लाल भुरिया,भेरुलाल राठोर, विनोद वर्मा,अशोक सोलंकी, गोर्वधन मकवाना,धर्मेन्द्र चौहान, बाबू चौहान, रंगुन बामनिया, महिला, बच्चे व नवयुवक शामिल रहे।

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