हवाई सफर : प्रदेश में हवाई यातायात के विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा, जहां विमानतल और हवाई पट्टी बन सकती हैं, वहाँ प्राथमिकता से होगा क्रियान्वयन

⚫ रतलाम, नीमच, उज्जैन, मंदसौर सहित अन्य जिलों में पायलट प्रशिक्षण, एयरो स्पोटर्स तथा अन्य उड्डयन गतिविधियाँ संचालित

⚫ विमानन विभाग की विभागीय परामर्शदात्री समिति की हुई बैठक स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री की अध्यक्षता में

हरमुद्दा
भोपाल, 16 मार्च। जिन जिलों में हवाई पट्टियाँ या विमानतल बनाए जा सकते हैं, वहां प्राथमिकता देकर क्रियान्वयन करें। यह बात स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कही। श्री परमार की अध्यक्षता में विमानन विभाग की विभागीय परामर्शदात्री समिति की बैठक हुई। बैठक में प्रदेश में हवाई यातायात के विकास संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई।

बैठक में चर्चा करते हुए

52 जिलों में से 30 में विमानतल या हवाई पटिटयाँ उपलब्ध

सचिव विमानन विवेक पोरवाल ने बताया कि प्रदेश के 52 जिलों में से 30 जिलो में विमानतल/हवाई पटिटयाँ उपलब्ध हैं।इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, खजुराहों (छतरपुर) तथा जबलपुर में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के हवाई अड्डे हैं। प्रदेश स्थित 13 शासकीय हवाई पट्टी रतलाम, नीमच, उज्जैन, मंदसौर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, उमरिया, रीवा, शिवपुरी, सागर, गुना, सिवनी और दतिया को पायलट प्रशिक्षण, एयरो स्पोटर्स तथा अन्य उड्डयन गतिविधियाँ संचालित करने तथा एयरक्रॉफ्ट रिसाइकिलिंग के लिए निर्धारित वार्षिक शुल्क पर वैमानिक संस्थाओं को आवंटित की गई हैं। इससे प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ 60 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। इन संस्थाओं में प्रतिवर्ष लगभग 200 छात्र प्रशिक्षण प्राप्त करते है, जिससे रोजगार के अवसर भी मिलते है। इसके अतिरिक्त शासकीय हवाई पटिटयों को एन्युटी मॉडल पर विकसित और विस्तार करने की योजना भी प्रक्रियाधीन है।

ग्वालियर से बैंगलौर, कोलकाता, जम्मू, तथा हैदराबाद रूट पर एवं जबलपुर से बिलासपुर रूट हवाई सेवाएँ संचालित

श्री पोरवाल ने बताया कि केन्द्र सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी योजना (आर.सी.एस) में ग्वालियर से बैंगलौर, कोलकाता, जम्मू, तथा हैदराबाद रूट पर एवं जबलपुर से बिलासपुर रूट हवाई सेवाएँ संचालित हो रही है। साथ ही राज्य शासन आर.सी.एस के तहत अन्य स्थानों को भी वायु सेवा से जोड़ने के लिये प्रयासरत हैं। इन्दौर विमानतल को कस्टम नोटिफाईड एयरपोर्ट घोषित किया गया है। इन्दौर विमानतल से अंतरराष्ट्रीय कार्गो सेवा भी वर्तमान में चालू है। प्रदेश के औदयोगिक क्षेत्र सिंगरौली में नवीन हवाई पट्टी की स्वीकृति जारी कर दी गई है, जिसका कार्य प्रगति पर है। शीघ्र ही स्थानीय निकायों को हवाई पार्किंग/लेण्डिंग सुविधा मिलना प्रारंभ हो जायेगी। ग्वालियर में वर्तमान में निर्मित एवं संचालित विमानतल के विस्तार एवं विकास हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को 57.952 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। उज्जैन में 27 सितंबर 2022 को हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में उज्जैन हवाईपट्टी पर बड़े विमानों की लेण्डिग सुविधाएँ उपलब्ध कराने हवाई पट्टी का विकास और विस्तार की परियोजना स्वीकृत करने का संकल्प पारित किया गया था, जिसकी कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

हवाई अड्डे के रूप में विकसित होगा रीवा

रीवा के आस-पास काफी किलोमीटर के दायरे में कोई भी विमानतल उपलब्ध एवं संचालित नहीं है। रीवा में हवाई सेवाओं की अपार संभावनाएँ हैं। रीवा हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित एवं विस्तार करने के बाद बोइंग आदि जैसे बढ़े विमानों की आवाजाही सुलभ हो सकेगी। इससे रीवा शहर प्रदेश एवं देश के बड़े तथा प्रदेश से सटे उत्तरप्रदेश के विभिन्न शहरों से जुड़ सकेगा। प्राधिकरण द्वारा रीवा हवाई पट्टी को उड़ान योजना में विकसित करने हेतु चिन्हित किया गया है। रीवा हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने प्रथम चरण में वर्तमान में उपलब्ध लगभग 61.945 एकड़ शासकीय भूमि प्राधिकरण को उपलब्ध की गई है। साथ ही 290 एकड़ अतिरिक्त भूमि भी उपलब्ध करने संबंधी आदेश जारी कर दिये गये हैं।

यह थे मौजूद

समिति सदस्य विधायक केदारनाथ शुक्ल, यशपाल सिंह सिसोदिया, घनश्याम सिंह एवं राकेश मावई तथा आयुक्त विमानन चंद्रमौली शुक्ल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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