यादों के झरोखे में वैदिक जी :  लादूराम, जलाराम की सेंव खाने खुद जाते, कालूराम की कचोरी, गुजराती स्कूल के सामने की जलेबी और मानक चौक के पान खाने के थे शौकीन, रतलाम से रहा अटूट और गहरा नाता

⚫ वैदिक जी के शिष्य डॉक्टर प्रदीप सिंह राव ने गुड़गांव जाकर की श्रद्धांजलि अर्पित

हरमुद्दा
रतलाम, 17 मार्च। इंदौर में जन्मे देश के वरिष्ठ पत्रकार चिंता लेखक वेद प्रताप वैदिक का निधन पत्रकार जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। गंभीर विषयों पर जितने भी गंभीर थे आम जीवन में उतना ही सरल और सहज। लादूराम, जलाराम की सेंव खाने खुद जाते, कालूराम की कचोरी, गुजराती स्कूल के सामने की जलेबी और मानक चौक के पान खाने के शौकीन थे। खाने के लिए बिल्कुल साधारण बनकर जाते।

यादों के झरोखे से यह बातें बताई वैदिक जी के शिष्य डॉक्टर प्रदीप सिंह राव ने। डॉ. राव दिवंगत वैदिक जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गुड़गांव स्थित निवास पर गए। अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

रतलाम के साथ अटूट रिश्ता रहा डॉ. वैदिक का

डॉ. वैदिक जी का रतलाम से अटूट रिश्ता रहा है क्योंकि उनके परम् शिष्य डॉ प्रदीप सिंह राव रतलाम और उनके बीच के सेतु रहे। 1997 में डॉ. राव की पुस्तक अफ़ग़ानिस्तान समस्या का विमोचन करने आए। उसके बाद निरन्तर यहां आने जाने का सिलसिला बना रहा। 1996-97 से 2001 तक ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में। लगातार दो बार आए और दिल्ली से एक से एक विख्यात हस्तियों को रतलाम व्याख्यानमाला में डॉ. राव के संदर्भ से भेजा भी। बाद में डॉ. राव की एक और पुस्तक का विमोचन 2010 में भंवरलाल भाटी स्मृति व्याख्यान माला में करने आए। साहित्यकार बालकवि बैरागी और वर्तमान विधायक चेतन्य काश्यप से अटूट रिश्तों के कारण कई बार रतलाम आए। यहां से मन्दसौर, जावरा और सैलाना भी व्याख्यान के लिए आते रहे। हिंदी भाषा के उनके सैकड़ों अनुयायी रतलाम में तैयार हुए। उन्हें रतलाम का बुद्धिजीवी वर्ग हृदय से श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

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