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मुझे घर नहीं जाना, आपके पास ही रहना है यहां

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हरमुद्दा
रतलाम, 24 जून। मुझे घर नहीं जाना यही आपके पास यहां रहना है। यह कहना है मनोरोगी राशिद हुसैन पिता जाहिद हुसैन, उम्र 30 वर्ष, निवासी मोती नगर का।
11 जून सुबह 5 बजे मनोरोगी राशिद हुसैन घर से निकल गया। किसी ने उन्हें सरकारी अस्पताल छोड़ दिया। जहां पर अस्पताल चौकी प्रभारी अशोक शर्मा ने उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करवाया। तब ही से राशिद भाई का आइसोलेशन वार्ड में उपचार चल रहा था।

काकाणी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी प्रतिदिन नाश्ते के वक्त उनसे चर्चा करते। एक दिन राशिद ने बताया कि टाटा नगर में रहता हूं। सब जगह तलाश किया, लेकिन कोई पता नहीं चला।
साबिर भाई ने पहचाना
फिर गैरेज एसोसिएशन के सदस्य साबिर रहमानी अस्पताल कार्य को लेकर मेरे पास आए थे। उनसे मैंने आइसोलेशन वार्ड चलने का कहा। उन्होंने देखते ही बताया कि यह तो मोती नगर में रहता है एवं तत्काल राशिद के जीजा को फोन लगाकर बताया कि आप इनके घर वालों को सूचना कर दीजिए।
मां नहीं है राशिद की
सुबह राशिद के पिताजी जाहिद हुसैन जो कि बच्चों को घर-घर कुरान शरीफ पढ़ाने का पुनीत कार्य करने जाते हैं वे लेने के लिए आए, तब उन्होंने बताया कि राशिद की मां का देहांत 7 वर्ष पूर्व हो चुका है। राशिद बचपन से मनोरोगी है और बिना बताए घर से निकल गया, तब से हम इसे ढूंढ रहे थे। तब मैंने उनसे प्रतिदिन की चर्चा में जो जानकारी हांसिल की थी।
मां का भी देना है प्यार
श्री काकाणी ने जाहिद हुसैन से पूछा क्या आप इसे डांटते हो तो उन्होंने स्वीकार किया हां सर। श्री काकाणी जी उनसे कहा आप शिक्षक होकर मानसिक रोगी की मनोदशा नहीं समझ पाए। आपको तो इसे मां का प्यार भी देना होगा तब उन्होंने गलती को स्वीकार करते हुए राशिद को घर चलने का कहा परंतु राशिद ने कहा मुझे यही रहना है। समझाइश के बाद राशिद वापस अपने घर गया।
माना आभार सभी का
राशिद के पिता जाहिद हुसैन ने काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन ,अस्पताल प्रशासन, डॉक्टर, स्टाफ सदस्य, अस्पताल चौकी प्रभारी आदि का हृदय से आभार माना |

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