मुद्दे की बात : भले ही ले लिया है इसे हल्के में, लेकिन है तो मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक

⚫ मुख्यमंत्री ने जब बात कर ली, सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दे दिए, तो फिर हाथ पकड़ा

⚫ मतलब की स्टाल पर खड़े जिम्मेदार अधिकारियों को भी इस हरकत के बारे में नहीं था पता

⚫ हाथ पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री को दिया पेन, मुख्यमंत्री ने भी दिया उपहार स्वरूप पेन

⚫ प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सुरक्षा में भी हुई थी ऐसे ही चूक

हरमुद्दा
रतलाम, 9 अप्रैल। शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहनों को संबोधित करने के बाद जाते समय स्टालों पर भी सामग्रियों को देखा और सराहना की। स्टॉल से जब जा रहे थे, तभी एक बालिका (भांजी) ने हाथ पकड़ लिया और पेन दिया हालांकि मुख्यमंत्री जी ने भी तत्काल अपनी जेब से पेन निकाल कर दिया और अगली स्टाल की ओर चल दिए।

पुलिस एवं जिला प्रशासन द्वारा भले ही इसे हल्के में लिया जा रहा है जबकि यह मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक मानी जानी चाहिए।

सिर पर रखा हाथ दिया आशीर्वाद

जब मुख्यमंत्री चर्चा कर रहे थे तब आखिर क्यों नहीं दिया पेन। चित्र में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी भी नजर आ रहे

जिस स्टॉल पर बालिकाएं इंतजार कर रही थी, वहां पर जनजाति विभाग की प्रभारी सहायक आयुक्त पारुल जैन भी मौजूद थी। मुख्यमंत्री आए। बालिकाओं (भांजियों) से चर्चा की। सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और जाने लगे।

आशीर्वाद के लिए हाथ उठाते हुए मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री आशीर्वाद देते हुए

तभी पकड़ा एक बालिका ने हाथ

मुख्यमंत्री का हाथ पकड़ा
मुख्यमंत्री को पेन दिया
पेन लेने के बाद मुख्यमंत्री जेब से पेन निकालते हुए
बालिका को पेन देते हुए मुख्यमंत्री

तभी एक बालिका ने उनका हाथ पकड़कर खींचा। यही मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक मानी जानी चाहिए, क्योंकि तीन दशक पहले प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी स्वागत के दौरान एलटीटीई की महिला चरमपंथी धनु ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छूए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया।

पेन की शक्ल में और कुछ भी हो सकता था तकनीकी युग में

इसी तरह तकनीकी युग में पेन की शक्ल में कुछ हथियार भी हो सकता था, जिसका बटन दबाते ही सीधे दिल के पास चला जाता। गनीमत है मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं लेकिन हो सकता था। यह सुरक्षा में भारी चूक है।

जिम्मेदार अधिकारी भी थे अनभिज्ञ

इसके साथ ही जनजाति विभाग की प्रभारी सहायक आयुक्त मौजूद थी, लगता है उन्हें भी बालिका की इस हरकत के बारे में पता नहीं था। बालिका क्या करेगी? उनसे अनभिज्ञ थी। जबकि बालिकाओं को तो पता था कि वे मुख्यमंत्री को पेन देंगी। तो यह कैसी अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि उन्हें पता ही नहीं था कि प्रोटोकॉल के तहत क्या होगा?

भले भांजी का स्नेह था मगर तरीका तो गलत

यह पेन, पेन न होते हुए पेन वाला पेन हो जाता तो मामला काफी गड़बड़ और गंभीर था। जिला और पुलिस प्रशासन ने इस मामले को भले ही हल्के में ले लिया है जबकि संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई तो होनी चाहिए। उनकी जानकारी में लाए बिना बालिकाओं ने हाथ पकड़ने की हिमाकत की। माना कि वह मामा जी की भांजी का स्नेह था, मगर तरीका तो गलत था। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

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