साहित्य सरोकार : जीवन से जुड़कर ही ज़िन्दा रहेगी कविता : प्रो.चौहान

⚫ जनवादी लेखक संघ का ‘कविता के नौ रंग ‘ कार्यक्रम आयोजित

हरमुदा
रतलाम, 14 मई। कविता जीवन से जुड़ी होती है। तभी उसकी सार्थकता भी होती है। कविता यदि जीवन से आबद्ध नहीं रहेगी तो उसका जीवन भी नहीं होगा। कवि होने के लिए यह ज़रूरी है कि अपने कालजयी लेखकों को पढ़ा जाए और समझा जाए। विनयशील होकर जब रचनाकार शब्दों के सामने जाता है तो शब्द भी उस पर अपना सारा सौंदर्य उडेल देते हैं।

यह विचार समकालीन कविता में हो रहे प्रयोग और वर्तमान में रचनाकारों द्वारा लिखी जा रही कविताओं के परिप्रेक्ष्य में जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित ‘कविता के नौ रंग’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि प्रो. रतन चौहान ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में रचनाकारों ने कविता के अलग-अलग तेवर से परिचित करवाते हुए समकालीन संदर्भ में कविता की पड़ताल की । आज की कविताओं में समकालीन तेवर को महसूस किया गया।

गीता दुबे

आयोजन में कवियत्री डॉ. गीता दुबे ने प्रकृति और मनुष्य के अंतर संबंधों पर कविता पढ़ते हुए मनुष्यता की बात की।

रणजीत सिंह राठौर

रणजीत सिंह राठौर ने बेटी की चाहतों और उसके संसार में मौजूद परेशानियों का ज़िक्र किया।

शोभना तिवारी

डॉ.शोभना तिवारी ने अपनी कविता के माध्यम से स्त्री विमर्श और समसामयिक संदर्भ की अभिव्यक्ति की।

सिद्दीक रतलामी

सिद्दीक़ रतलामी ने ‘बुढ़ापे की पेंशन’ और ‘महकता क़िरदार’ नज्मों के माध्यम से वर्तमान संदर्भ में उपस्थित हो रहे है संकटों का खुलासा किया।

इंदु सिन्हा

इन्दु सिन्हा ने अपनी रचना में बेटी के पिता होने के दर्द को व्यक्त किया तथा आज के वातावरण में एक बेटी का पिता होने की जिम्मेदारियों का वर्णन किया।

योगिता राजपुरोहित

योगिता राजपुरोहित ने अपनी कविता के माध्यम से स्त्री के अंतर्संबंधों की बात कही। उनकी कविता में एक बेटी की मां होने का दर्द अभिव्यक्त हुआ।

लक्ष्मण पाठक

लक्ष्मण पाठक ने अलंकार शैली में प्रस्तुत रचना और कलम की महत्ता को प्रदर्शित करती कविता पढ़ी।

संजय परसाई

संजय परसाई ‘सरल’ ने अपनी रचनाओं का पाठ करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द, बेटी के अरमान और मां के प्रति जिम्मेदारियों के बोध की बात कही।

मदर्स डे पर किया महिलाओं का सम्मान

आयोजन में मौजूद साहित्यकार

प्रारंभ में उपस्थित महिला रचनाकारों का मदर्स डे के संदर्भ में स्वागत संजय कोटिया एवं सिद्दीक रतलामी ने किया।संचालन आशीष दशोत्तर ने किया तथा आभार कीर्ति शर्मा ने माना। कार्यक्रम में मांगीलाल नगावत, डॉ दिनेश तिवारी, मधुसूदन बोरासी सहित साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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