साहित्य सरोकार : शील, सादगी और साधुता की त्रिवेणी हैं कबीर, उनका जीवन दर्शन मानवीय मूल्य का दर्पण
⚫ साहित्यकार, कवि, लेखक डॉ. प्रकाश उपाध्याय ने कहा
⚫’हम लोग’ का हुआ ‘मेरे कबीर’ पर आयोजन
⚫ किया अभिनंदन शाल श्रीफल से
हरमुद्दा
रतलाम, 19 जून। शील, सादगी और साधुता की त्रिवेणी हैं कबीर। महात्मा कबीर का जीवन दर्शन मानवीय मूल्य का दर्पण है। कबीर ने अपने शब्दों के माध्यम से सामाजिक चेतना, दलित और वंचितों की पीड़ा को उजागर किया। समाज की विषमताओं पर प्रहार कर प्रेम और भाईचारे के प्रसार का अद्भुत प्रयास किया। वे विरोधाभासी होकर भी सभी के अपने थे और किसी के भी नहीं । वे निर्गुण भक्ति धारा के साथ सगुण भक्ति धारा में भी थे। वे प्रेम मार्गी और ज्ञानमार्गी दोनों शाखाओं में बराबर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे। वे जितने हिंदू थे, उतने ही मुस्लिम। वे जितनी लताड़ पंडितों को लगाते हैं उतनी ही मुल्ला-मौलवियों को भी। वे जितने गूढ़ थे उतने ही सहज। कबीर की यही ख़ासियत उन्हें कालजयी बनाती है। आज भी कबीर हम सबकी जुबान पर चढ़े हुए हैं, यह उनकी जीवन्तता का प्रमाण है।
आयोजन में मौजूद सुधि साहित्य प्रेमी
यह विचार ‘हम लोग’ द्वारा आयोजित ‘मेरे कबीर’ कार्यक्रम में हिंदी साहित्य के विद्वान वक्ता और कबीर दर्शन के गहन अध्येता डॉ. प्रकाश उपाध्याय ने व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि कबीर ने प्रेम, समन्वय और सौहार्द का संदेश दिया। कबीर ने अलगाव करने वाली ताकतों पर प्रहार किया । कबीर ने सर्वहारा वर्ग के पक्ष में खड़े होकर उसके दुखों की चिंता की । कबीर ने शासन से टकराने में भी परहेज नहीं किया । वे सीना तान कर सत्ताधीशों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते रहे । यही कारण रहा कि उनकी सत्य वाणी को कोई भी शासक दबा नहीं सका।
अंधविश्वासों पर प्रहार और रूढ़ीवादियों के ख़िलाफ़ कबीर की क़लम खूब चली
डॉ. उपाध्याय ने कहा कि सामाजिक चेतना, अंधविश्वासों पर प्रहार और रूढ़ीवादियों के ख़िलाफ़ कबीर की क़लम खूब चली। समाज में उन्हें जहां विसंगति नज़र आई, उसे उन्होंने अपने शब्दों में ढाला। वे कभी किसी के पक्ष में खड़े नहीं रहे और न ही कभी किसी के विपक्ष में । उन्होंने सदैव सच का साथ दिया। बहुत साधारण से शब्दों में उन्होंने गंभीर बातें कहीं।
कबीर को जितना समझेंगे उतना जाएंगे सच के करीब
डॉ. उपाध्याय ने कबीर की साखियों को उद्धृत करते हुए उसके मर्म से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि कबीर को आप जितना समझेंगे उतने ही अपने सच के करीब जाएंगे। कबीर आज की आवश्यकता भी है कबीर की बातें आज समझने और आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की ज़रूरत है। डॉ. उपाध्याय ने उपस्थितजनों के आग्रह पर कबीर की रचना ‘ माया महाठगिनी हम जानि’ का सस्वर पाठ किया।
सादा जीवन जीने की कला कबीर से सीखें : जैन
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कर सलाहकार इंदरमल जैन ने कहा कि ‘हम लोग’ द्वारा आयोजित किए जाने वाला यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश में अनूठा है। यहां एक रचनाकार अपने जीवन के सारे अनुभव को प्रस्तुतकर्ता करता है। कबीर ने अपने जीवन में यही किया। वे समाज से जो भी ग्रहण करते रहे उसे ही समाज को लौटाते रहे। सोए समाज को जगाते रहे और सही राह पर चलने की प्रेरणा देते रहे । कबीर के जीवन से हमें ऐसा जीवन जीने की कला भी सीखनी चाहिए।
कबीर को सही स्वरूप में समझना ज़रूरी : जैन
‘हम लोग’ के अध्यक्ष सुभाष जैन ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि ‘हम लोग’ रचनात्मक गतिविधियों के ज़रिए नागरिकता बोध बढ़ाने के प्रयास में निरंतर लगा हुआ है। कबीर के जीवन दर्शन पर आयोजन के साथ ही हम लोग की निरंतरता आगे भी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि कबीर वैभव और विलासिता के विरोधी थे मगर दुर्भाग्य से उन्हें उनके मूल रूप से अलग कर प्रस्तुत किया जा रहा है । कबीर को सही रूप में समझने के लिए ही ‘हम लोग’ ने यह आयोजन किया है।
अभिनन्दन किया गया शाल श्रीफल से
साहित्यकार डॉ. उपाध्याय का अभिनंदन करते हुए पदाधिकारी
अतिथियों का स्वागत- सम्मान संस्था के अध्यक्ष सुभाष जैन, सचिव ओम प्रकाश ओझा, विष्णु बैरागी, डॉ. अभय पाठक, प्रो. मनोहर जैन, ओम प्रकाश मिश्रा, डॉ. सुरेश कटारिया, लगन शर्मा, वासु गुरबानी, पद्माकर पागे, आशीष दशोत्तर ने किया। संचालन सचिव ओम प्रकाश ओझा ने किया। आभार डॉ. अभय पाठक ने माना। कार्यक्रम में साहित्य कला एवं सामाजिक जगत के सुधि जन मौजूद थे।
⚫ फोटो : लगन शर्मा