धर्म संस्कृति : गति तो बदल रही है लेकिन मति में कोई बदलाव नहीं
⚫ आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने कहा
⚫ प्रभु से अपेक्षा रखो सद मति की
⚫ युवाओं के लिए विशेष 5 शिविर की श्रृंखला की शुरुआत रविवार से
हरमुद्दा
रतलाम, 15 जुलाई। सैलाना वालों की हवेली मोहन टाॅकीज में आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने शनिवार को प्रवचन में कहा कि चार गति में हमारा प्रतिगमन जारी है। गति तो बदल रही है लेकिन मति में कोई बदलाव नहीं है। आने वाले जन्म में गति अच्छी मिले इसके लिए प्रयास है, लेकिन इस जन्म में मति अच्छी हो इसके लिए प्रयास करना है। महत्व गति का नहीं मति का है।
आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य सारी आराधना इसलिए करता है कि उसे इस जन्म में मति अच्छी मिले लेकिन मुझे सद्गति की कोशिश नहीं करता। प्रभु से कहो साधन-दौलत मिले न मिले लेकिन सद मति चाहिए ही चाहिए। उन्होने मति को बदलने के लिए तीन सूत्र गुड इज इन यू, गोल इज फाॅर यू और गाॅड इज विथ यू बताए। यदि मति का परिवर्तन करना है तो अपने अंदर की अच्छाई को निकालो। अच्छाई को पैदा नहीं करना है, जो हमारे भीतर है, उसे प्रकट करना सीखो।
बाहर की परछाई हटाएंगे तो दिखेगी भीतर की अच्छाई
आचार्य श्री ने कहा कि बाहर की परछाई को हटा दो, तो अंदर की अच्छाई प्रकट हो जाएगी। अहंकार को हटा दो, तो नम्रता प्रकट हो जाएगी। पैसे के मर्मत्व को हटा दो, तो उदारता प्रकट हो जाएगी। यदि तुम्हारे पास पर्याप्त धन नहीं है तो थोडे़ में से भी थोड़ा धर्म के लिए दान दो। देने में आनंद है, सुख है। इसलिए तो आकाश से पानी मिलता है, पेड़ फूल देते है और खुश होते है। प्रवचन के दौरान श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के सदस्य एवं बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।
शिविर के पश्चात साधार्मिक भक्ति का आयोजन
श्री संघ अध्यक्ष अभय लुनिया ने बताया कि 16 जुलाई से प्रति रविवार आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पांच युवा शिविर आयोजित होंगे। इन सभी शिविरों के लाभार्थी विधायक चेतन्य काश्यप एवं परिवार रहेगा। पहला शिविर प्रातः 9.30 से 12.30 बजे रहेगा। शिविर में 15 से 55 वर्ष के भाई-बहन शामिल होंगे। शिविर के पश्चात साधार्मिक भक्ति का आयोजन किया जाएगा।